बदायूँ जनमत। ईदगाह के पेश इमाम हजरत हाफिज सैयद शुजात अली उर्फ हाफिज अच्छन साहिब का निधन गुरुवार 19 जनवरी को सुबह करीब 11 बजे इंतकाल हुआ।
आपका जन्म सैयद अज़हर हुसैन साहब (पिता) के घर 1949 ई. में मोहल्ला देहलीज़ सहसवान ज़िला बदायूं में हुआ था। आप सहसवान में शिक्षक के रूप में काम करते रहे और 1989 में सर्वसम्मति से ईदगाह के इमाम चुने गए। उनके जनाज़े की नमाज़ मौलाना सलीम अख्तर साहब ने अदा कराई और हज़ारों मुसलमानों ने भाग लिया।
सामाजिक कार्यकर्ता एवं पूर्व जिला पंचायत सदस्य हाफिज इरफान ने हजरत के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि हजरत हाफिज सैयद शुजात अली इमाम ईदगाह एक बिमिसाल शख्सियत थे, जिन्होंने अपनी अंतिम सांस तक समाज की शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए प्रयास किया। जीवन भर इस्लाम धर्म की सेवा में लगे रहे और सैकड़ों की संख्या में उनके शागिर्द बने जो इस्लाम, मुल्क ओ मिल्लत की सेवा में सेवा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हज़रत अतुलनीय सेवा के साथ-साथ उच्च स्तर की नैतिकता और चरित्र के धनी थे। आज उनके निधन से सहसवान और आसपास के क्षेत्रों के सभी वर्ग के लोग दुखी हैं। अपने बुजुर्गों के नक्शेकदम पर चलते हुए उन्होंने एक मिसाल कायम की। पवित्रता, इल्म, खुलूस जो एक मुकम्मल मुसलमान के पास होनी चाहिए वो उनके अंदर कूट कूट कर भरा हुआ था।
सभी मस्जिदों और मदरसों के सभी इमामों, शिक्षकों और विद्वानों के साथ-साथ राजनीतिक और सामाजिक महत्वपूर्ण लोगों ने उनकी जनाज़े की नमाज़ में भाग लिया। हाफ़िज़ अब्दुल हादी , नवादा, कारी खलीकुर्रहमान इमाम जामा मस्जिद, कारी फ़रीद-उल -जमां, प्रोफेसर गुलाम रसूल, हाफिज राशिद हुसैन कारी साजिद साहब इमाम ईदगाह डिबाई, बाबर मियां चैयरमेन, डॉ आदिल समी, डॉ रशीद आदि मौजूद रहे।