बदायूॅं जनमत। बुधवार देर शाम बदायूं लोकसभा से सपा प्रत्याशी व अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव पूर्व मंत्री आबिद रज़ा के आवास पर मुलाकात को पहुंचे। इस दौरान पूर्व मंत्री आबिद रज़ा ने पार्टी द्वारा मुसलमानों को अनदेखा करने और पार्टी में मुसलमानों की अहमियत को लेकर एक मांग पत्र सौंपा है। वहीं कयास लगाए जा रहे हैं कि आबिद रज़ा शिवपाल यादव के साथ भी जा सकते हैं।
मुलाकात के दौरान आबिद रज़ा ने कहा स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव के समय में समाजवादी पार्टी में जो मुसलमान की एहमियत थी, मुस्लिम लीडर की एहमियत थी, वह आज की समाजवादी पार्टी में नहीं बची। इसी को लेकर हम समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव पद से सर्शत इस्तीफा दे चुके हैं।
उत्तर प्रदेश में 80 प्रतिशत हिन्दु भाई हैं, 20 प्रतिशत मुसलमान है, 80 प्रतिशत हिन्दु भाईयों को समाजवादी पार्टी में टिकट मिलना चाहिए, 20 प्रतिशत मुस्लिम समाज के लोगों को टिकट मिलना चाहिए। समाजवादी पार्टी में सर्वण, पिछले, दलित, अल्पसंख्यक को हिस्सेदारी के हिसाब से भागीदारी मिलना चाहिए। साथ ही आम मुसलमान की जायज बातों पर पार्टी को आवाज उठानी चाहिए। पार्टी में मुसलमान वोट की कद्र, कीमत, एहमियत को कम समझना, मुसलमान की सियासी हिस्सेदारी के साथ इंसाफ ना करना। पार्टी में मुस्लिम लीडरशिप को खूबसूरत अंदाज से कमजोर करने का षड्यंत्र नहीं रचना चाहिए।
पार्टी द्वारा गठबंधन करके यह सोचना “अब मुसलमान जायेगा कहाँ” यह अच्छी बात नहीं है। पार्टी द्वारा मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर मजबूत मुसलमान लीडर को प्रत्याशी बनाया जाना चाहिए। बरेली मण्डल में 20 लाख मुसलमान है, इसलिए बरेली मण्डल में कम से कम एक मुसलमान प्रत्याशी इस लोकसभा चुनाव में बनाना चाहिए।
बदायूं जिले में लगभग 6 लाख मुसलमान हैं, जिले में कम से कम दो मुसलमानों को समाजवादी पार्टी से टिकट मिलना चाहिए। पार्टी द्वारा मुसलमान नौजवानों को सिर्फ नारे, पोस्टर, कुर्सियां बिछाने के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। पार्टी द्वारा लोकसभा या विधानसभा की मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर मुस्लिम का टिकट काटकर मुसलमान से भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए नहीं कहना चाहिए, बल्कि मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर मजबूत मुस्लिम लीडर जिसकी छवि अच्छी हो उसको टिकट देकर बाकी से यह कहना चाहिए कि अब भारतीय जनता पार्टी हराओ। स्वर्गीय नेता जी ने जब पार्टी बनायी तब पार्टी का वोटबैंक MY वोट कहलाता था। आज पार्टी में M व Y के मतलब बदल दिये गये, जिससे हम समेत आम मुसलमान को दिली तकलीफ हुई। मुसलमान के लिए पार्टी का मौजूदा हालात में यह रूख बेहतर नहीं है। आपने सियासत नेता जी के साथ की है, नेता जी के साथ सर्घष भी किया है, आपने देखा है कि समाजवादी पार्टी की कामयाबी में मुसलमान की क्या भूमिका रही हैं। आज समाजवादी पार्टी में मुलसमान के साथ फर्जी दिखावा बचा है। आज समाजवादी पार्टी में मुसलमानों के लिए विचारधारा बदल गयी, हम पार्टी में मुलसमानों की विचारधारा की लड़ाई लड़ रहे हैं, अगर यह बगावत है तो बगावत ही सही।
अगर समाजवादी पार्टी हमारी बातों पर विचार करके मुसलमानों के हक की लड़ाई लड़ने का भरोसा दिलाती है, तब ही हम समाजवादी पार्टी के साथ खड़े हो सकते हैं। वरना हम मुसलमानों के साथ-साथ सर्वण, पिछड़े, दलित, नौजवान, किसान, अल्पसंख्यकों की लडाई के लिए
संर्घष करते रहेगें।