बदायूॅं जनमत। राजकीय मेडिकल कालेज में भर्ती टीबी के मरीज ने शुक्रवार सुबह चौथी मंजिल की खिड़की से कूदकर आत्महत्या कर ली। पिता का आरोप है कि सांस लेने में परेशानी होने पर बीमार बेटा गुरुवार रात छटपटाता रहा। इसके बावजूद स्टाफ से तत्काल राहत के लिए समुचित उपचार नहीं किया। इससे परेशान होकर उसने आत्महत्या की। उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाए। कहा कि खिड़की में लोहे की ग्रिल नहीं लगी थी। मेडिकल कालेज के प्रभारी सीएमएस डा. ज्ञानेंद्र कुमार ने लापरवाही के आरोप नकारे हैं। उन्होंने कहा कि रात को मरीज को दवाएं व इंजेक्शन देने के बाद तबीयत में सुधार हुआ था। वहीं 10 महीने के अंदर मेडिकल कालेज में आत्महत्या की यह तीसरी घटना है। टीबी से ग्रसित संभल निवासी 30 वर्षीय युवक को तीन दिसंबर को मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया था।
उनके पिता ने बताया कि गुरुवार रात बेटे को सांस लेने में अधिक परेशानी होने लगी। इसकी जानकारी स्टाफ को दी, मगर किसी ने सुनवाई नहीं की। शुक्रवार सुबह सात बजे वह दवा लेने के लिए नीचे आए थे, इसी दौरान बेटे ने वार्ड की खिड़की से छलांग लगा दी। सिर, सीने में गहरी चोट लगने से उनकी मौके पर ही मृत्यु हो गई। प्रभारी सीएमएस डा. ज्ञानेंद्र कुमार ने कहा कि मरीज के उपचार में लापरवाही नहीं की गई। रात को स्टाफ ने मरीज को कुछ गोलियां व इंजेक्शन दिए थे, जिसके बाद तबीयत में सुधार हो गया था। बुधवार को वार्ड में एक अन्य मरीज की मौत हो गई थी। उसके बाद से टीबी मरीज भी घबराया हुआ था। संभव है कि उसी अवसाद में आकर उसने आत्महत्या की हो। पूरे प्रकरण की जांच बैठा दी गई है। यदि स्टाफ की लापरवाही पाई गई तो कार्रवाई करेंगे।
रात में सोने चला गया था स्टाफ…
मरीज के पिता ने बताया कि गुरुवार रात 12 बजे स्टाफ ने कुछ गोलियां दीं, इसके बाद स्टाफ सोने चला गया। रात एक बजे कोई राहत नहीं होने पर सो रहे वार्ड ब्वाय को सोते से उठाया ताकि दवा का इंतजाम कर दे। उसने चिकित्सकीय स्टाफ को बुलाने के बजाय टाल दिया। इस पर प्रभारी सीएमएस ने कहा कि रात में स्टाफ के दोनों लोग निरंतर सक्रिय रहते हैं। रात 12 बजे के बाद दवाएं दी गईं थीं, इसका उल्लेख कागजों में है।