बदायूं में सूफी जी के तीन रोज़ा उर्स का समापन, महफिले मीलाद के साथ हुई तकरीरें

धार्मिक

बदायूॅं जनमत‌। हर साल की तरह कस्बा वज़ीरगंज में हजरत सूफी सिब्ते अहमद साहब के तीन रोज़ा उर्स शरीफ में पहले दिन क़ुरआन ख्वानी महफिले मीलाद, दूसरे दिन जलसा एवं तीसरे दिन कुल शरीफ की फातिहा के साथ समापन किया गया। उर्स की सरपरस्ती व सदारत खलीफए मियां हुज़ूर हज़रत अनवर मियां ने की वहीं निजामत शायर डॉ हिलाल बदायूंनी ने की।
जलसे में बदायूं शहर मुफ़्ती दिलशाद क़ादरी ने अपनी तक़रीर में कहा कि अच्छे लोगों में उठना बैठना होना चाहिए तब आपका शुमार भी अच्छे लोगों में होगा। अच्छी सोहबत अच्छी संगत से अच्छी पहचान बनती है। जलसे में तक़रीर के अलावा गयूर अली, मुश्फिक अली, मुहम्मद अली, सिब्तेन हबीब फारूकी, हाफ़िज़ ज़ीशान, हाफ़िज़ फैज़ान, हाफ़िज़ इशरत, हाफ़िज़ इरशाद, हाफ़िज़ अब्दुलकलाम, हाफिज आदिल, जावेद अत्तारी, हाफ़िज़ अबरार अहमद, हाफ़िज़ ज़ियाउल साबरी, सलीम मुहम्मदी, सरफ़राज़ अहमद, दानिश मुहम्मदी, सगीर बदायूंनी ने भी कलाम पेश किया।
निज़ामत कर रहे शायर डॉ हिलाल बदायूंनी ने कहा –
ये करम वली का है जो मुहम्मदी हम हैं,
शाह वली ने हम सबकी आबरू बचा ली है,
चेहर ए वली देखो या कि चेहर ए अनवर,
वो भी बेमिसाली था ये भी बेमिसाली है,
खानकाह आलिया मुहमदिया क़दीरिया के सज्जादा नशीन हज़रत अनवर बिन नूर मुहम्मद मियां हुज़ूर ने कहा कि किसी भी तअल्लुक़ की पहली शर्त मुहब्बत है। आप अपने पीर से रसूल से जितनी मज़बूत मुहब्बत रखेंगे आपका रिश्ता उतना ही मज़बूत होगा।

मज़ार पर पहुंचा चादरों का जुलूस…

वृहस्पतिवार को सुबह दस बजे सूफी जी के मज़ार पर नगर से होता हुआ चादरों का जुलूस पहुंचाया गया। दोपहर एक बजे से महफिले मीलाद ख्वानी, तक़रीर हुई। जिसके बाद सलाम पेश किया गया। महफ़िल मे चाँद बाबू, फिरासत भाई, जौक वजीरगंजवी, सलीम दानिश, असलम, मोअज़्ज़िन सरफ़राज़, डा गुच्छन, इरफ़ान, पप्पू मसूदी, साबिरनूर मंसूरी, सादुल्ला मंसूरी, मा खलील अहमद हुसैन, मुन्तेयाज़ मंसूरी, फारूक मिस्त्री, अलीमुहम्मद मसूदी, इंतज़ार मसूदी, जमील असगर, सुलेमान, असरार सलमानी आदि मौजूद रहे।       

 

 

 

 

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