बदायूॅं जनमत। दर्सगाह इस्लामी ककराला में जमात ए इस्लामी हिन्द का जनपदीय कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिसकी शुरुआत कारी मुहम्मद तय्यब ने कुरान पाठ की, उन्होंने कहा मोमिन के दिल में अल्लाह का दिया हुआ नूर होता है। जिसकी रोशनी में वह मानवता के लिए कल्याण कारी काम करता है। जो लोग शोहरत हासिल करने के लिए काम करते हैं अल्लाह के दरबार में उनके कामों में कोई वजन नहीं होगा।
अयाज़ अहमद फलाही ने कहा जीवन गुजारने का तरीका अल्लाह की नज़र में सिर्फ इस्लाम है। इसके बाद सिराज अहमद ने बताया कि आज भी दुनिया सत्य की तलाश में है, जरूरत इस बात की है कि हमारा किरदार इस्लाम के मुताबिक हो। वहीं डॉक्टर जियाउर्रहमान फलाही ने बताया बहुत सी ताकतें ऐसी हैं जो हालात को खराब करना चाहती हैं, हमें दुनिया को मोहब्बत का पैगाम देना है। उस्मान गनी खां ने मरहूम हाफिज अब्दुल कय्यूम के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनके अच्छे अखलाक का बयान किया।
मोहतरमा नसीमे सहर ने सहाबियात के दावती संघर्ष का बयान करते हुए बताया दावत के मैदान में जहां पुरुषों ने कुर्बानियां दीं तो महिलाओं ने उसमें बराबर का हिस्सा लिया। मुशाहिद मियां ने हदीस का पाठ पेश करते हुए कहा कि सहाबा ने इस्लाम के लिए हर तरह का त्याग किया। हमें भी उसी रास्ते पर चलने की जरूरत है।
इस कार्यक्रम में एक विचार गोष्ठी “ला कानूनियत और हमारी जिम्मेदारियां” भी हुई। जिसमें डाक्टर सबीह खान ने कहा कि जब सरकार बहुत मज़बूत होती है या बहुत कमजोर होती है दोनों सूरतों में कानून-व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई जाती हैं।
मौलाना मुहम्मद आज़म कास्मी ने कहा कि आज हिन्दुस्तान में साम्प्रदायिक ताकतें यहां के कमज़ोर लोगों को नुक्सान पहुंचा रही हैं। ऐसे हालात में पैगम्बर मुहम्मद साहब की जिन्दगी से रहनुमाई हासिल करने की जरूरत है। मुहम्मद आरिफ़ ने बताया कि आज भारतीय संविधान को बदलने की कोशिश हो रही है उसे बचाने की जरूरत है। मुहम्मद मुस्लिम ने कहा नफरत आज तालीमी इदारों तक पहुंच चुकी है। अध्यक्षीय भाषण देते हुए डाक्टर इत्तेहाद आलम ने कहा आज हमें कुरान और हदीस के मुताबिक अमल करते हुए हिम्मत और हौसले के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा जमात ए इस्लामी हिन्द में शामिल होना हमारे लिए बहुत बड़ी नेमत है। हमारा काम दुनिया के अन्दर इन्साफ क़ायम करना है।
रफत गनी ने कहा हमारी जिंदगी का उद्देश्य अल्लाह की इबादत और बन्दगी करना है। मुहम्मद रिजवान ने कहा पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने निकाह को आसान बनाया था हमने उसे मुश्किल बना लिया है। मुहम्मद फुरकान ने कहा पश्चिमी सभ्यता ने इन्सान को अल्लाह से दूर करने की कोशिश की है। मौलाना मुतीउर्रहमान ने खानदान के इस्लामी आदाब बताये। सौदा सरफराज ने कहा कि माता-पिता की ओर से सबसे बड़ा तोहफा अच्छी तालीम है। मौलाना अतीक अहमद इस्लाही ने कहा इतनी तालीम हासिल करना हर मुस्लिम के जरूरी है। जिससे इस्लाम के मुताबिक जिन्दगी गुज़ारना आसान हो।