बदायूॅं जनमत। कस्बा उसहैत की बीच वाली (नूरानी) मस्जिद में संचालित मदरसा फैज़ाने ग़ौसे आज़म में पढ़ने वाले दर्जनभर बच्चों का हिफ्ज़ मुकम्मल होने के मौके पर जश्ने दस्तारबंदी का आयोजन हुआ। मौलाना अक़बर अली की देखरेख में कार्यक्रम उसहैत के इनायत मैरिज लॉन में हुआ। जिसमें मेहमान ए खुसूसी खानकाह आलिया क़ादरिया के सज्जादानशीन और क़ाज़ी ए ज़िला हज़रत मोहम्मद अतीफ मियां क़ादरी रहे। महफिल का आग़ाज़ तिलावते कुराने मजीद से हुआ, तिलावत दानिश सकलैनी ने की और निज़ामत मुफ्ती फ़हीम अजहरी ने की।
नातों मनक़बत के बाद खानकाह आलिया क़ादरिया के सज्जादानशीन हज़रत मोहम्मद अतीफ मियां क़ादरी ने कहा कि बेहद खुशी और मुबारकबाद के लायक बात है कि उसहैत में 12 हाफ़िज़ ए कुरान हुए हैं। उन्होंने कहा कि आज माहौल बन गया है कि हिफ्ज़ के मदरसे को छोटा मदरसा समझा जाता है। जबकि इसका उल्टा होना चाहिए। श्री क़ादरी ने कुरान की फजीलत बयान की, साथ ही कुरान की आयतों का हवाला देते हुए कहा कि कुरान बेहद मुबारक और अज़ीम किताब है। हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि ‘जो कुरान पढ़ता और पढ़ाता है तुममें सबसे बेहतर और खैर वाला वो है’। लेकिन आज मुआशरे में हाफिज़ को सबसे छोटा समझा जाता है। ये अफसोस की बात है। सलातो सलाम के बाद महफिल का समापन हुआ।
इसके बाद मदरसे के हाफ़िज़ जुनैद मिर्ज़ा, हाफ़िज़ नूर मोहम्मद, हाफ़िज़ नसीम, हाफ़िज़ अयान, हाफ़िज़ शमीम, हाफ़िज़ मुस्लिम, हाफ़िज़ अज़ीम, हाफ़िज़ आसिम, हाफ़िज़ अब्दुल क़ादिर, हाफ़िज़ क़ासिम, हाफ़िज़ फ़ैज़ान का हिफ्ज़ मुकम्मल होने पर हज़रत अतीफ मियां ने इनके सिर पर पगड़ी बांधी और हज़रत के ही हाथों इन्हें सनद दी गई। कार्यक्रम के बाद हज़रत ने आबिद खां और फरमान मेंबर के घर पहुंचकर फात्हांख्वानी की जहां गर्मजोशी के साथ लोगों ने हज़रत का इस्तकबाल किया।
इस दौरान चेयरमैन नबाव हसन, मौलाना अनवार क़ादरी, हशमत अली खलीफा, हाजी समीउल्लाह खां, हाजी रजीउद्दीन खांन, हाजी इक़बाल, हाफिज मंसूर क़ादरी, हाफिज मुजफ्फर क़ादरी, हाफिज शादाब कादरी, हाफिज सैयद जुबैर अली, सैयद शाहिद अली, सभासद अलीजान, हसरत हुसैन, आले हसन, मुजीब खां, शाहनवाज़ खांन, सादमान अंसारी, अलापुर के सभासद जाहिद खां आदि मौजूद रहे।