बदायूॅं जनमत। मौलाना डॉ यासीन अली उस्मानी को नज़रंदाज़ करना जिले में सपा में फूट के संकेत देते दिखाई दे रहे हैं। जबकि मौलाना यासीन उस्मानी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के साथ की थी। उनका समाजवादी पार्टी को फर्श से अर्स तक ले जाने में भी विशेष योगदान रहा है। जब से राजनीति शुरू की तब से सिर्फ समाजवादी पार्टी के सच्चे हितैषी बनकर रहे। कभी दल नहीं बदला, पार्टी में छोटे पदों से लेकर बड़े पदों पर रहे। यहाँ तक की समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अलावा सपा अल्पसंख्यक सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कई बार मुलायम सिंह और कभी अखिलेश की सरकार में मंत्री भी रहे।
समाजवादी पार्टी के साथ पहले दिन से बड़ी मेहनत और बफादारी के साथ पार्टी को आगे बढ़ाने में अपना अहम क़िरदार निभाया और कभी ना पीछे हटने वालों में उनका नाम सबसे ऊपर लिया जाता है।
वहीं मौलाना डॉ यासीन अली उस्मानी अपनी राजनीतिक हैसियत से अलग हैसियत रखते हैं। पूरे मुल्क़ में श्री उस्मानी का नाम बड़े एहतराम लिया जाता है। क्योंकि मौलाना डॉ यासीन अली उस्मानी हिंदुस्तान की अहम अम्ब्रेला तंज़ीमों में अहम पदों पर हैं। जैसे मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, आल इंडिया मिल्ली कौंसिल, इस्लामिक इंटेलेक्चुअल बोर्ड जैसी बड़ी तंज़ीमो में बड़े पदों पर हैं। वह एक सेक्युलर नेता हैं। शायद इसीलिए मुसलमान ही नहीं बल्कि किसी भी समाज में उनकी अलग ही छवि है। लोगों का कहना है कि समाज में अपने क़ाम से जाने जाने वाले श्री उस्मानी को समाजवादी पार्टी ने कभी भी उनकी बफादारी का इनाम नहीं दिया और हमेशा उनके हक़ के साथ धोखा किया है।
जैसे बिसौली में आयोजित आज एक सभा में मौलाना डॉ यासीन अली उस्मानी का फोटो कार्यक्रम स्थल पर लगे बैनर से गायब था। जो कि खासी चर्चाओं का विषय बना रहा। पार्टी जिला कमान की इस हरकत से लोगों को लगने लगा है कि ये पार्टी में कहीं न कहीं फूट के संकेत हैं। जो आने वाले लोकसभा चुनाव में घातक साबित हो सकते है।
