बदायूॅं जनमत। समाजवादी पार्टी की नीतियों से आहत होकर नाराज़ चल रहे पूर्व मंत्री मौलाना यासीन अली उस्मानी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बीच जल्द ही मुलाक़ात हो सकती है। सूत्रों के अनुसार जब से मौलाना यासीन उस्मानी ने एक पत्र सपा प्रमुख अखिलेश यादव को भेजा है तब से प्रदेश की राजनीति प्रभावित होने लगी है। कई मुस्लिम नेता मौलाना के साथ आ गए हैं। जिसके चलते अखिलेश यादव ने मुलाकात की पहल की है।
बता दें कि पूर्व मंत्री और सपा अल्पसंख्यक सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे मौलाना यासीन अली उस्मानी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत समाजवादी पार्टी से की है। तब से समाजवादी पार्टी में ही बने हैं। पार्टी के हालात चाहे अच्छे रहे हों या खराब मौलाना ने कभी दल नहीं बदला। उनकी इसी लगन और पार्टी के प्रति वफादारी को देखते हुए मुलायम सिंह यादव उन्हें हमेशा अपने करीबियों में रखते थे। मुलायम सिंह यादव ने ही मौलाना को उर्दू अकेडमी का चेयरमैन भी बनाया था। मौलाना को राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद भी मुलायम सिंह यादव ने ही दिया था। मुलायम परिवार से मौलाना के बेहद करीबी रिश्ते रहे हैं। लेकिन, वर्तमान की राजनीति ने मौलाना को सपा से दूरी बनाने पर मजबूर कर दिया है। सपा शीर्ष नेतृत्व के गलत फैसलेबाजी से मौलाना यासीन उस्मानी नाराज़ चल रहे हैं।
खबर यहां तक है कि मौलाना ने पार्टी से त्यागपत्र देने का पूरा मन बना लिया था। लेकिन, शिवपाल यादव और अखिलेश यादव की गुजारिश पर वह चुप हो गए। लेकिन उन्होंने अपने दिल का दर्द एक पत्र में लिखकर सपा प्रमुख को भेजा था। इसके बाद से प्रदेश भर से मुस्लिम नेताओं ने मौलाना से संपर्क साधा और उनके साथ खड़े होने की बात कही। लोकसभा चुनाव के समय कहीं न कहीं राजनीति प्रभावित हो रही थी। अब चर्चा है कि अखिलेश यादव और मौलाना यासीन उस्मानी की जल्द मुलाकात हो सकती है।
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