बरेली जनमत। दरगाह आला हजरत स्थित मरकज़ी दारूल इफ्ता के वरिष्ठ मुफ्ती अब्दुर्रहीम नश्तर फारूक़ी ने कहा कि इस्लाम में 10वीं मुहर्रम की तारीख़ बड़ी अहमियत रखती है। इसी दिन अल्लाह ने ज़मीन, आसमान, चाँद, सूरज, जन्नत, दौज़ख़, अर्श, कुर्सी, लौह और कलम को पैदा फरमाया, 10वीं मुहर्रम को ही हज़रत आदम अलैहिस्सलाम पैदा हुए। इसी दिन जन्नत में दाख़िल हुए और इसी दिन उनकी तौबा क़बूल हुई। इसी दिन हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की कशती जुदी पहाड़ से लगी, इसी दिन हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम की पैदाइश हुई, इसी दिन नमरूद ने आपको दहकती आग में डाला और अल्लाह ने आपके लिए आग को गुलजार बना कर “खलीलूल्लाह” का लकब अता फ़रमाया, इसी दिन हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम को हुकूमत मिली, इसी दिन हज़रत अय्यूब अलैहिस्सलाम को बड़ी बीमारी से निजात मिली, इसी दिन अल्लाह ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को दरयाए नील पार कराया और फ़िरऔन को डुबो दिया, इसी दिन हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम को मछली के पेट से निकाला, इसी दिन क़यामत आयेगी और इसी दिन नवास-ए-रसूल हज़रत इमाम हुसैन ने अपने 72 जाँ निसारो के साथ जामे शहादत नोश फ़रमाया। इमाम हुसैन ने बुराई और बातिल ताकतों के खिलाफ़ ऐलाने जंग किया। आपने ज़ालिम यज़ीद के सामने सर झुकाने के बजाय सर मुबारक कटा कर दुनिया वालों को ये पैग़ाम दिया कि हमेशा हक़ बोलना और हक़ के साथ रहना चाहिए, सामने चाहे जो कोई भी हो। अगर आपने हक़ के लिए जान भी देदी तो मर कर भी हमेशा के लिए ज़िन्दा हो जाएंगे और सामने वाला ताक़त व हुकूमत के बावजूद भी सफ़ह-ए-हस्ती से ऐसा मिट जाएगा कि कोई नाम लेने वाला भी न होगा। सभी मुसलमानों को चाहिए कि हमेशा इमाम हुसैन के नक्शे कदम पर चलें। इमाम हुसैन ने तीरों तलवारों के साये में भी नमाज़ पढ़ कर हमें हर हाल में नमाज़ पढ़ने का दरस दिया है।
