बदायूँ जनमत। नफरतों के इस दौर में ‘इंसानियत अभी ज़िंदा है’ यह सुनते ही हर कट्टरपंथी का सिर जरूर झुकेगा। जहां लोग सियासत के चक्कर में हिंदू मुसलमानों का भाईचारा ख़त्म कर उन्हें लड़वाना चाहते हैं। वहीं एक निरंकार शक्ति समय समय पर अपने होने का अहसास दिलाती रहती है और इंसान को उसकी इंसानियत ज़िंदा रखने का सबक देती है।
बदायूं के कछला गंगा घाट पर राजस्थान से स्नान करने आए एक वृद्ध का जब पैर फिसला तो वह गंगा नदी में गिर गया पड़ा। पानी के तेज बहाव ने उसे पूर्णरूप से जकड़ रखा था। सारी रात वह गंगा नदी में बहता रहा, जिसके चलते करीब 45 किलोमीटर बहने के बाद सुबह वह उसहैत क्षेत्र के गांव अहमद नगर बछौरा आ पहुंचा। जहां ग्रामीणों को उसके ज़िंदा होने का अहसास हुआ तब उन्होंने नाव की सहायता से उसे गंगा नदी से बाहर निकाला।
राजस्थान के जनपद भरतपुर के कस्बा डींग क्षेत्र के गोवर्धन गेट निवासी 55 वर्षीय दयाचंद बाल्मीकी पुत्र मदन लाल बाल्मीकी ने जनमत एक्सप्रेस को बताया कि उसके सिर पर अचानक एक कौआ आकर बैठ गया था। जिसे देख उसकी पत्नी ने उसे गंगा स्नान करने कछला घाट पर भेजा था। कल शुक्रवार शाम वह कछला पहुंचा। करीब 6 बजे उसने गंगा स्नान करने को जैसे ही अपने पैर की चप्पल उतारी उसका पैर फिसल गया और वह गंगा नदी में गिर पड़ा।
दयाचंद ने बताया कि वह सारी रात गंगा नदी के पानी में बहता रहा। रात के अंधेरे में वह काफी चीजों से टकराया भी लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और किसी तरह वह पानी के बहाव में बहता रहा। उसने बताया कि आज शनिवार सुबह करीब 7 बजे उसे एक गांव दिखा। उसने गांव वालों को अपने ज़िंदा होने का इशारा दिया। गांव वालों ने नाव की सहायता से उसे गंगा के चंगुल से बचाया। करीब 13 घंटे लगातार पानी में बहकर आने वाले दयाचंद की हालत बुरी हो चुकी थी। उसने बताया कि उसहैत के अहमद नगर बछौरा के मुसलमानों ने उसे बचाया। साथ ही चाय पिलाई और खाना भी खिलाना और किराय के लिए दो सौ रुपये भी दिये। इसके बाद गांव वालों ने दयाचंद को उसहैत थाने लाकर पुलिस को सौंप दिया। पुलिस ने उसके परिवार वालों को घटना से अवगत कराया, शाम को उसके परिजन थाने पहुंचे और दयाचंद को अपने साथ ले गये। दयाचंद ने हाथ जोड़कर सभी का धन्यवाद कहा।