बदायूॅं जनमत। इल्मी अदबी दुनिया का रौशन नाम मुन्तख़ब मियां (नूरी ककरालवी) का कल 07 फ़रवरी शुक्रवार सुबह नौ बजे इलाज के दौरान इंतक़ाल हो गया। नूर ककरालवी एक लंबी बीमारी और कमज़ोरी के चलते ज़ेरे इलाज़ थे, शुक्रवार को इस दुनिया से हमेशा के लिए कूच कर गए।
आज 08 फ़रवरी (09 शाबान 1446 हिजरी) शनिवार सुबह 11:30 बजे हज़रत मुन्तख़ब मियां (नूर ककरालवी साहब) को ककराला स्थित मज़ार शरीफ पर सुपुर्द ख़ाक किया गया। आपकी नमाज़े जनाज़ा आपके भतीजे हज़रत शाह मोहम्मद ग़ाज़ी मियां ने पढ़ाई।
बता दें कि हज़रत शाह सकलैन मियां हुज़ूर के आप छोटे भाई थे, आप तीन भाई थे सबसे बड़े हुज़ूर शाह सकलैन मियां फ़िर हज़रत मुमताज़ मियां और उनसे छोटे नूर साहब, आपकी बहनें भी तीन हैं। जिनमें दो बड़ी बहनें पहले ही दुनिया को अलविदा कह गईं। नूर साहब अपने परिवार में 7 बच्चे छोड़ के गए हैं। जिनमें पांच बेटे और दो बेटियां हैं। सब बच्चों की शादियां कर चुके थे।
नूर ककरालवी ख़ानकाही शख़्सियत होने के साथ-साथ उर्दू शेरो अदब का भी एक बड़ा नाम था। आपने दुनिया ए अदब में अपनी एक अलग पहचान और मक़ाम बनाया। आपके यूँ छोड़ के चले जाने से सभी लोग ग़मज़दा हो गए। साथ ही अहले बस्ती ने अदब की एक अज़ीम और मुख़्लिस शख़्सियत को खो दिया। आपका दुनिया से जाना उर्दू शेरो अदब का एक बड़ा नुक़सान हुआ है। जिसकी भरपाई होना मुश्किल है।
आपके दफ्न में गैर प्रांतों से पहुंचे लोग…
आपके दफ़्न में शामिल होने के लिए हिंदुस्तान के मुख़्तलिफ़ राज्यों से अक़ीदतमंद आए। जिनमें महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, बिहार, उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश के ज़्यादातर शहरों जैसे झाँसी, गवालियर, आगरा, पनवाड़ी, बुलन्दशहर, मुरादाबाद, रामपुर, पीलीभीत, शाहजहांपुर, बरेली आदि शहरों व गांव क़स्बों से हज़ारों लोग शामिल हुए। आपके आख़िरी दीदार के लिए लोग बेताब नज़र आए, सभी कतार ब कतार लगकर आपका दीदार करते रहे। आपका दफ़्न आपके वालिद हज़रत शाह शुजाअत अली मियाँ के मज़ार शरीफ़ के पास क़स्बा ककराला में हुआ। परिवार वालों ने बताया आपका सोयम (तीजा) 10 फ़रवरी सोमवार को किया जाएगा।