104वां उर्स : काजी-ए-हिंदुस्तान की सरपरस्ती में तीन दिवसीय उर्स-ए-रजवी का समापन 

धार्मिक

बरेली जनमत। इमाम अहले सुन्नत इमाम अहमद रज़ा खां फाजिले बरेलवी का 104वां उर्स-ए-रजवी बड़ी ही अकीदत के साथ दरगाह ताजुश्शरिया और सीबीगंज स्थित मदरसा जामियातुर रजा में काज़ी-ए-हिंदुस्तान मुफ्ती मोहम्मद असजद रज़ा खां कादरी (असजद मियां) की सरपरस्ती और जमात रज़ा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं उर्स प्रभारी सलमान मियां की सदारत व जमात रज़ा के राष्ट्रीय महासचिव फरमान मियां की निगरानी में मनाया गया। प्रोग्राम की निजामत मौलाना गुलजार ने की। आईटी सेल प्रभारी अतीक अहमद हशमती ने प्रोग्राम को देश-विदेश में ऑनलाइन प्रसारण किया। मुफ्ती असजद मियां ने मदरसा जामियातुर रज़ा की हामिदी मस्जिद में जुम्मे की नमाज़ लाखो जायरीनों के साथ एक बजे अदा कराई।
जमात रज़ा के प्रवक्ता समरान खान ने बताया फजर की नमाज़ बाद दरगाह ताजुश्शरिया और मदरसा जामियातुर रज़ा में कुरानख्वानी और नात-ओ-मनकबत की महफिल सजाई गई। मुख्य कार्यक्रम का आगाज़ मदरसा जामियातुर रज़ा मे सुबह 09 बजे कारी शर्फोद्दीन ने तिलावत-ए-कुरान से किया। नातख्वा रफीक़ रजा कादरी (मुंबई) और सैय्यद कैफ़ी अली ने नात-ओ-मनकबत का नज़राना पेश किया। देश-विदेश से आए दिखर उलमाओं और सज्जादगान ने आला हजरत की ज़िंदीगी पर रौशनी डाली। आला हज़रत के 104वां उर्स-ए-रज़वी के मौके पर शहजादा-ए-ताजुश्शरिया मुफ्ती असजद रज़ा ने कहा मस्जिदों और मदरसों को निशाना ना बनाएं हुकूमत-ए-हिंद। मुसलमानों के संस्थानों को लेकर हुकूमत-ए-हिंद के फैसलों पर एतराज जताया। लाखों अकीदतमंदों खिताब करते हुए उन्होंने कहा कि हुकूमत-ए-हिंद ऐसे फैसले ले रही है, जिससे मुल्क के मुसलमानों के संस्थानों पर नुकसान पहुंच रहा है। मदरसों की जांच पर हमे कोई एतराज नहीं लेकिन जांच की आड़ में मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है। मुफ्ती अख्तर हुसैन आलिमी (बस्ती) ने खिताब करते हुए कहा नौजवान युवा सोशल मीडिया से ज्यादा अपनी तालीम पर वक्त दे। आजकल का दौर देखा जा रहा है कि तालीम पर ज़ोर कम और सोशल मीडिया पर जोर ज्यादा है। नौजवान युवाओं मुसलमानों से गुजारिश है सोशल मीडिया से ज्यादा दूरी बनाएं और तालीम पर ज्यादा वक्त दे। आजकल के दौर में हमें तालीम ही कामयाबी दिला सकती है। इसलिए हमारे समाज के लोगों को चाहिए कि वह तालीम पर ज्यादा से ज्यादा हिस्सा लें। मुस्लिम समाज की जिम्मेदारी है कि अपनी बच्चों को इस्लामी संस्कारों के साथ साथ दुनियावी तालीम जरूर दें। मौलाना जाहिद रज़ा ने कहा मसलके आला हजरत के खिलाफ बोलने वालों से खत्म कर दें ताल्लुकात। सुन्नियत पर मजबूती से काम करें और गैर-मसलकी विचार फैलाने वालों से लोगों को बचाएं। सैय्यद गियास मिया (काल्पी शरीफ़), हबीब-ए-मिल्लत (धामनगर उड़ीसा), सैय्यद सलीम बापू (गुजरात), मुफ्ती शमशाद हुसैन (घोसी), मौलाना जाकिर गियाबी (बिहार), अब्दुल मुस्तफा (बाराबंकी), मुफ्ती मसीहुद्दीन (बहराइच), मौलाना तबरेज आलम (नानपारा), मौलाना फैजान रज़ा (रामपुर) ने भी खिताब पेश किए। दोपहर को 02:38 मिनट पर सरकार आला हजरत के कुल शरीफ़ की रस्म लाखों लोगों की मौजूदगी में अदा की गई। फातिहा मौलाना अब्दुल सत्तार रज़ा और कारी फैजू नबी ने पढ़ी। शिज़रा मुफ्ती असजद मियां और खुसूसी दुआ मुद्दिस-ए-कबीर जिया उल मुस्ताफ़ा ने की। इसी के साथ तीन रोज़ा उर्स-ए-रजवी का समापन हुआ।
इस मौके पर हुस्साम मियां, हुम्माम मियां, मुफ्ती आशिक हुसैन, बुरान मियां, मंसूब मियां, मुफ्ती शाहजाद आलम, मौलाना शकील, कारी काजिम रजा, कारी वसीम, कारी मुर्तजा, मुफ्ती फैसल, मुफ्ती बिलाल, मौलाना शाहमत रज़ा, मुफ्ती अफजाल रजवी, मुफ्ती नश्तर फारुकी, मौलाना सैय्यद अजीमुद्दीन अजहरी, मौलाना शम्स रज़ा व उर्स कोर कमेटी से डॉक्टर मेंहदी हसन, शमीम अहमद, हाफिज इकराम रजा खां, मोईन खान, समरान खान, अब्दुल्लाह रज़ा खां आदि लोग मौजूद रहे।

वहीं उर्स-ए-रजवी के पुरनूर मौके पर जमात रज़ा-ए-मुस्तफा की सभी ब्रांचों (शाखाओं) ने वालंटियर्स के साथ अपनी जिम्मेदारी बखूबी से निभाई। जहां एक तरफ हुज़ूर ताजुश्शरिआ का कायम की मदरसा जामियातुर रज़ा नूर की रौशनी से सराबोर था, तो वहीं जमात रज़ा-ए-मुस्तफा की ब्रांचों (शाखाओं) की जानिब से लंगर का इंतजाम किया गया था। ताकि देश-विदेश से आए जायरीनों को किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो जिसमें लंगर करने वाली ब्रांचों में धन्तिया, अलीगंज, फतेहगंज पश्चिमी, फतेहगंज पूर्वी, आंवला, बीसलपुर, मवई काजियान, काधरपुर कैंट, करगैना बदायूं रोड, शाही, मजनूपुर, बानखाना, शेरगढ़, बहेड़ी, भगवंतापुर, चंदपुर बिचपुरी, सिरौली, खैलम आदि रही।
उर्स की व्यवस्थाओं में डॉक्टर मेहंदी हसन, हाफिज इकराम रज़ा खान, शमीम अहमद, समरान खान, मोईन खान, अब्दुल्लाह रज़ा खान, मोईन अख्तर, अतीक अहमद हशमती, बख्तियार खां, सैफ अली कादरी, नदीम सुब्हानी, नावेद, कौसर अली, रिजवान हुसैन, दन्नी अंसारी, अब्दुल सलाम, मौलाना शम्स रज़ा, मौलाना निजामुद्दीन, मौलाना आबिद नूरी, मुफ्ती कासिम, शाईबूद्दीन रज़वी, अकील खान, फैजान रज़ा, शबाब खान, अबरार हुसैन, बहारुल मुस्तफा, सैय्यद मशकूर, अहसान, मुजाहिद खान, डॉक्टर जफर खान, सलीम खान, मोहम्मद अहमद, आले मुस्तफा आदि लोगों का खास सयोग रहा।

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