जनमत एक्सप्रेस। संत आसाराम को एक शिष्या के साथ बलात्कार के जुर्म में गुजरात के गांधीनगर स्थित सत्र अदालत ने उम्र कैद की सज़ा सुनाई है। सत्र न्यायालय के न्यायाधीश डीके सोनी ने वर्ष 2013 में दर्ज इस रेप केस में सोमवार को आसाराम को दोषी पाया था, जबकि आसाराम की पत्नी समेत छह अन्य लोगों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था।
चांदखेड़ा पुलिस थाने में दर्ज FIR के अनुसार, अहमदाबाद के बाहरी इलाके में स्थित आसाराम बापू के आश्रम में रहने के दौरान 2001 से 2006 के बीच महिला से कथित तौर पर कई बार बलात्कार किया गया। इस मामले में विशेष लोक अभियोजक आरसी कोडेकर ने सोमवार को बताया कि अदालत ने आसाराम को धारा 376 2(सी) (बलात्कार), 377 (अप्राकृतिक यौन अपराध) और भारतीय दंड संहिता के अन्य प्रावधानों के तहत अवैध हिरासत में रखने के लिए दोषी ठहराया है।
आसाराम इस समय जोधपुर की जेल में बंद हैं। वर्ष 2018 में जोधपुर की एक ट्रायल कोर्ट ने एक अलग यौन उत्पीड़न मामले में आसाराम को जेल की सजा सुनाई थी। आसाराम को अपने जोधपुर आश्रम में एक 16 वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार करने का दोषी गया था। आसाराम और सात अन्य लोगों पर अक्टूबर 2013 में सूरत की एक महिला द्वारा बलात्कार और अवैध ढंग से कैद में रखने का आरोप लगाया गया था। इस मामले में जुलाई 2014 में चार्जशीट दाखिल की गई थी।
आसाराम जमीन विवाद में भी फंसे हुए हैं। उनके खिलाफ रतलाम में करीब 100 एकड़ जमीन पर कब्जा करने का मामला दर्ज है। ये मामला 2001 का है, जब आसाराम की योग वेदांत समिति ने 11 दिनों के लिए मंगलाय मंदिर के पास जमीन ली थी। लेकिन 11 दिन बीत जाने के बाद भी जमीन खाली नहीं की गई। इस जमीन मामले में आसाराम, उनके बेटे नारायण साईं और कुछ अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया था।