बदायूँ जनमत। शहर के प्रसिद्ध कवि शमशेर बहादुर आंचल के 77 वें जन्मदिन दिवस के उपलक्ष्य में उनके पटियाली सराय स्थित निज निवास पर एडवोकेट अनिरुद्ध राय सक्सेना के संयोजन में एक काव्य संध्या का आयोजन किया गया। जिसमें हास्य व्यंग्य के प्रसिद्ध कवि शमशेर बहादुर आंचल को पुष्पमाला प्रतीक चिन्ह डायरी पेन देकर ब शाल उढ़ा कर सम्मानित किया गया। साथ ही उनके दीर्घायु होने स्वस्थ जीवन की कामना करते हुए कवियों ने उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।
कवि शमशेर बहादुर आंचल ने पंक्तियां पढ़ीं –
खुद को शर्मिंदा और न हाथ सवाली रखिए ।
प्यार दे जो जीभ उसे फूल की डाली रखिए ।।
कोई गर ज्यादा बने तो जीभ पर गाली रखिए,
दौर ऐसा है की हाथों में दुनाली रखिए।
बिल्सी से आए छंदकार विष्णु असावा ने पढ़ा –
सुन्दर से भारत को सुन्दर बनाके और
सुख शान्ति बाला भव्य भारत बनायेंगे
भारत की एकता अखंडता सदैव रहे
मिलजुल ऐसा सब प्रण अपनायेंगे।
ओजकवि षट्वदन शंखधार ने पढ़ा –
शब्दों के पर्वत हरगिज न ढ़हते हैं
हम कब यह इतिहास के पन्ने कहते हैं
काव्य पुत्र तो मरकर भी इस दुनिया में
गीत गजल छंदों में जिंदा रहते हैं।
अचिन मासूम ने पढ़ा –
चढ़ता सूरज हूं इक दिन उतर जाऊंगा,
तुम जो छू लोगे तो मैं निखर जाऊंगा,
मेरे जीवन का बेदाग दर्पण हो तुम ,
मैं तुम्हे देख लूंगा संवर जाऊंगा।।
हर्षवर्धन मिश्र ने पढ़ा –
जनमानस की आन हुई है हिन्दी से
भारत की पहचान हुई है हिन्दी से
यूँ तो हर भाषा का आँचल मिला हमें
पर माटी ये धनवान हुई है हिन्दी से।
काव्य गोष्ठी का संचालन कवि पवन शंखधार ने किया। एडवोकेट अनिरुद्ध सक्सेना, आशीष सक्सेना, अंशु ठेकेदार, विशाल सक्सेना ने शाल ओढ़ाकर प्रतीक चिन्ह व डायरी पेन देकर सम्मानित किया। आदित्य सक्सेना, विकास सक्सेना, अरविंद सक्सैना, विशाल सक्सेना, दीपक सक्सेना, देवेश कश्यप, प्रतीक रायजादा, सर्वेश कुमार गुप्ता आदि लोग उपस्थित रहे।