यौमे आज़ादी के मौके पर बज़मे नूर की जानिब से ककराला में तरही मुशायरा

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बदायूॅं जनमत। ककराला में यौमे आज़ादी के मौक़े पर तरही मुशायरे का इनअक़ाद सोहराब अकादमी सेंटर पर हुआ। जिसमें शायरों ने आज़ादी में शहीद हुए वीरों को याद किया और उनकी तारीफ़ में शेर पढ़कर उन्हें ख़िराज़े अक़ीदत पेश की गई। मुशायरे में मेहमान ए खुसूसी डॉ निशांत असीम रहे और सदारत रागिब ककरालवी ने की, वहीं निज़ामत अज़मत ख़ान ने की।
शायरों द्वारा पढ़े गये चुनिंदा अशआर…

इक रोज़ चांद तारों की फ़सलें उगाएगा,
पहला पहला क़दम ज़िमीं पे अभी आसमां का है।
सोहराब ककरालवी

असलोब का है और कहीं पर बयां का है,
हर सिम्त ज़िक्र आज मिरी दास्तां का है।
ये बुझ गया तो रोशनी होगी न उम्र भर,
ये आख़री चिराग़ हमारे मकां का है।
चांद ककरालवी

हम उससे इत्तिहाद की उम्मीद क्या करें,
जिस कारबां का मीर ही दुश्मन अमां का है।
अज़मत ककरालवी

इक क़यामत गुज़र गयी अख़्तर
कोई दिल से गया निकल के रात
डाक्टर तोहीद अख़्तर मुराद नगरी
चेहरा कफ़न हटा के मिरा देख लीजिए
बस आख़री वरक़ ये मिरी दास्तां का है
शमीम ककरालवी

हरइक जबां है कशती ए मिल्लत का बादबां,
जो काम बादबां का है वो नौजबां का है।
कामिल उरौलवी

इस मौक़े पर वरिष्ठ पत्रकार हामिद अली खाँ राजपूत, मास्टर मुस्लिम ख़ान, हकीम अफ़रोज़, अशरफ़ गुलशन, अशरफ़ अली खाँ अमर उजाला, बारिश पठान, जीशान अंसारी आदि लोग मौजूद रहे।     

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