बदायूँ जनमत। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र एवं संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार व रक्षा मंत्रालय भारत सरकार के तत्वाधान में आयोजित इंडिया गेट के ऐतिहासिक मुशायरा कवि सम्मेलन में जिले के कस्बा वज़ीरगंज निवासी सुप्रसिद्ध शायर हिलाल बदायूँनी ने अपने कलाम के जलवे बिखेर कर जनपद की साहित्यिक पृष्ठभूमि की साख बना दी। ये कार्यक्रम आज़ादी के अमृत महोत्सव के पर्व पर सेंट्रल विस्टा क्षेत्र में शनिवार व रविवार इंडिया गेट पर आयोजित किये गए। कार्यक्रम में देश के 10 नामचीन ख्याति प्राप्त शायरों व कवियों को भारत सरकार ने आमंत्रित किया था।
आज़ादी के अमृत महोत्सव के पावन पर्व पर दिल्ली के सेंट्रल विस्टा क्षेत्र इंडिया गेट पर शनिवार रविवार 18 व 19 फरवरी संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार ने ऐतिहासिक अखिल भारतीय कविसम्मेलन व मुशायरा का आयोजन किया। कार्यक्रम में बदायूँ जनपद के सुप्रसिद्ध शायर हिलाल बदायूँनी ने शिकरत की एवं बताया कि देश के ऐतिहासिक पर्यटन स्थल पर हुए कार्यक्रम में देश के नहीं बल्कि विदेशी सैलानियों ने भी जमकर कार्यक्रम का लुत्फ लिया। मुशायरा कवि सम्मलेन में शायर हिलाल बदायूँनी के साथ विश्व प्रसिद्ध कवि डॉक्टर अर्जुन शिशोदिया, श्रीमती तुषा शर्मा, डॉक्टर श्लेष गौतम, अंतरराष्ट्रीय शायर नईम फ़राज़, सौरभकान्त शर्मा, हास्य कवि अतुल ज्वाला, शैलेन्द्र मधुर, हास्य कवि मनोज गौतम, उपेंद्र फतेहपुरी मौजूद रहे।
शायर हिलाल बदायूँनी की अंग्रेज़ी में की गयी शायरी एवं निम्न पंक्तियों को काफी सराहा गया।
बैक्स्पेस कर नही सकता।
मुझको रिप्लेस कर नहीं सकता।
फोन पे सारी बात कर लेगा।
फेस टू फेस कर नहीं सकता।
मेरी आँखों मे चुभ गए कांटे ।
गुलसिताँ के गुलाब क्यों देखे ।
मेरी आँखें तो काली काली थीं।
मैंने रंगीन ख्वाब क्यों देखे।