लखनऊ जनमत। उत्तर प्रदेश के डीजीपी मुकुल गोयल को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नाराजगी भारी पड़ गई। शासकीय कार्यों की अवहेलना, विभागीय कार्यों में रुचि न लेने और अकर्मण्यता के चलते उन्हें डीजीपी के पद से हटाकर नागरिक सुरक्षा का डीजी बनाया गया है। गोयल का सेवाकाल फरवरी 2024 तक है। वहीं, शासन की इस कार्रवाई के पीछे हाल के दिनों की घटनाएं बड़ी वजह मानी जा रही हैं। शासन ने एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार को फिलहाल डीजीपी का कार्यभार सौंपा दिया है।
गोयल को पिछले साल एक जुलाई को तत्कालीन डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी की सेवानिवृत्ति के बाद डीजीपी बनाया गया था। वह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस लौटे थेे। शुरू से ही उनका कार्यकाल विवादों से घिरा रहा। लखनऊ में एक इंस्पेक्टर को हटाए जाने को गोयल ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था, लेकिन वह इंस्पेक्टर को नहीं हटवा पाए। यह मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा था। मुख्यमंत्री योगी ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग तक में कहा था कि जिलों में थानेदारों की तैनाती के लिए मुख्यालय स्तर से दबाव न बनाया जाए। उसके बाद मुख्यमंत्री ने कई महत्वपूर्ण बैठकों में डीजीपी गोयल को नहीं बुलाया गया।
इस घटनाओं पर गिरी गाज
सूत्रों का कहना है कि हाल के दिनों में ललितपुर के एक थाना परिसर में दुष्कर्म पीड़िता के साथ थानेदार द्वारा दुष्कर्म, चंदौली में पुलिस की दबिश में कथित पिटाई से युवती की मौत, प्रयागराज में अपराध की ताबड़तोड़ घटनाएं, पश्चिमी यूपी में लूट की घटनाएं डीजीपी गोयल को हटाए जाने की प्रमुख वजहें हैं।
पहले भी विवादों में रहे गोयल
गोयल पहले भी विवादों में रहे हैं। 2006 में मुलायम सिंह सरकार में हुए पुलिस भर्ती घोटाले में उनका नाम आया था। मामले में अभी याचिका हाईकोर्ट में लंबित है। एक मामले में वह निलंबित भी हो चुके हैं।
2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे के बाद गोयल को एडीजी कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी अखिलेश यादव सरकार ने सौंपी थी, लेकिन बीच में उन्हें इस पद से भी हटा दिया गया था।