बदायूॅं जनमत। ईदे मिलादुन्नबी के मौक़े पर दरगाह सागरताल पर सय्यद अहमद बुखारी रहमतुल्ला अलैह वालिदे माजिद हज़रत निज़ामउद्दीन महबूबे इलाही रहमतुल्लाह अलैहि पर जश्ने ईदे मिलादुन्नबी की शानदार महफ़िल इस्लामिक इंटेलेक्चुअल बोर्ड द्वारा मुनक्किद की गई। जिसकी सदारत हज़रत मेहंदी हसन निज़ामी साहब सज्जादा नशीन दरगाह सागरताल ने फरमाई और मेहमाने खुसूसी की हैसियत से बोर्ड के नेशनल चेयरमैन वक़ारे मिल्लत नाज़िशे बदायूं मौलाना डॉ यासीन अली उस्मानी शरीक़ हुए।
प्रोग्राम में उझानी, बिनावर, बिसौली, बिल्सी और शहर बदायूं के नातख्वों ने शिरक़त कर हुज़ूर मोहम्मद साहब की शान में नातिया क़लाम पेश करके महफ़िल में समा बांध दिया।
डॉ यासीन अली उस्मानी ने अपने खुसूसी ख़िताब में तमाम लोगों को हुज़ूर की विलादत पर मुबारक़बाद पेश की और उन्होंने फ़रमाया की सारी दुनिया में मुख्तलिफ कौमे अपने अपने अंदाज़ से अपने यादगार दिनों को मनाती हैं। कहा कि सारे दिन का एक दिन है यौमे रसूलुल्लाह। लेबर्स डे, चिल्ड्रनस डे, विमन्स डे, टीचर्स डे, यौमे आज़ादी, यौमे जमहुरियत वगेरा अगर हम सिर्फ अल्लाह के रसूल की विलादत का जश्न मनाये तो सब का हक़ अदा हो सकता है। मदर्स डे तो माँ के क़दमो के नीचे जन्नत, फादर्स डे मनाते हो तो बाप जन्नत का दरवाज़ा, टीचर्स डे मनाते हो तो माँ बाप से ऊपर मर्तबा, लेबर्स डे मनाते हो तो मज़दूर की मज़दूरी पसीना सूखने से पहले, 15 अगस्त, 26 जनवरी मनाते हो तो वतन से बेपनाह मोहब्बत आदि जैसी बातों का ज़िक्र किया। इसी के साथ उन्होंने अपने अपने बच्चों को दीनी व दुनियावी तालीम से आरस्ता होने का पैगाम दिया।
इस शानदार महफ़िल में अहमद जमाल क़ादरी, अम्बर रज़ा, साकिब रज़ा, मोहम्मद शारुख ने अपने शानदार क़लाम से नवाज़ा और आखिर में बोर्ड के सीनियर मेंबर एडवोकेट दानियाल निज़ामी साहब ने पूरी दुनिया के लिए पुरज़ोर दुआ फरमाई।
इस मौक़े पर कोऑर्डिनेटर साहिबे आलम खान, बोर्ड के ज़िला सदर इबादुरहमान, सलीम असगर, हाजी शक़ील, अहमद परवेज़, ज़ाकिर उझानी, डॉ बाक़ी बिनावर, इक़बाल बिसौली, समी उझानी, अकरम सैफी, आज़म खान, अशफ़ाक़ खान, फरहान, तौसीफ खान आदि लोगों ने शिरक़त की।