बदायूॅं जनमत। राज्यपाल को समन भेजकर तलब करने वाले एसडीएम न्यायिक पर आखिरकार कार्रवाई हो गई। शासनस्तर पर इसे घोर अनुशासनहीनता मानते हुए एसडीएम को सस्पेंड कर दिया गया है। वहीं डीएम ने एसडीएम कोर्ट के पेेशकार को अपने स्तर से निलंबित किया है।
सदर तहसील के एसडीएम न्यायिक कोर्ट ने विधि व्यवस्थाओं को नजर अंदाज करते हुए सात अक्तूबर को बदायूं में लोड़ा बहेडी गांव के समीप बाईपास पर अधिग्रहित की जमीन पर दायर किये वाद पर पीडब्ल्यूडी की जगह राज्यपाल के नाम समन जारी किया था। जिसमें राज्यपाल को राजस्व संहिता की धारा 144 के तहत उनकी कोर्ट में 18 अक्टूबर को तलब किया गया था। नोटिस 10 अक्टूबर को राजभवन पहुंचा। जिसके बाद राज्यपाल के विशेष सचिव ब्रदीनाथ सिंह 16 अक्टूबर को डीएम बदायूं को पत्र लिखकर संविधान के अनुच्छेद 361 का पूर्णतया उल्लंघन मानते हुए इस पर घोर आपत्ति जताती थी। इस मामले में हस्तक्षेप कर याचिका में विधि अनुसार पक्ष रखने व नोटिस जारी करने के संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने के को कहा था।
शासन के निर्देश पर पहले एसडीएम को चेतावनी जारी की गई। जबकि मामले की विभागीय जांच के साथ ही नोटिस को खारिज किया गया। इसके बाद शासनस्तर पर रिपोर्ट भेजी गई। वहीं शासन ने बुधवार को एसडीएम न्यायिक को सस्पेंड कर दिया। इधर डीएम ने इसी कोर्ट के पेशकार बदन सिंह को अपने स्तर से निलंबत कर दिया। डीएम मनोज कुमार ने बताया कि एसडीएम विनीत कुमार को सस्पेंड करने का आदेश शासन से आ चुका है। पेशकार को अपने स्तर से हमने निलंबित कर दिया है।
राज्यपाल को समन भेजे जाने के मामले में सदर कोर्ट के एसडीएम न्यायिक विनीत कुमार के निलंबन का शासन से आदेश प्राप्त हो गया है। इसी कोर्ट के पेशकार को मेरे द्वारा निलंबत कर दिया गया है। – मनोज कुमार, डीएम
ये था मामला…
पूरा मामला सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के गांव लोड़ा बहेड़ी का है। यहां रहने वाले चंद्रहास नाम के व्यक्ति ने साल 2019 में एसडीएम कोर्ट में एक वाद दायर किया था। इसमें उसने शहर के मोहल्ला ऊपरपारा निवासी लेखराज समेत पीडब्ल्यूडी व राज्यपाल को पक्षकार बनाया था। उसकी ओर से एसडीएम न्यायिक की कोर्ट में दायर वाद में यह आरोप लगाया गया कि उसकी बुआ कटोरी देवी की तकरीबन 3 बीघा जमीन उनके रिश्तेदार चंद्रपाल ने अपने नाम करा ली थी। जबकि बाद में वह जमीन चंद्रपाल ने लेखराज को साल 2003 में बेच दी। वहीं साल 2020 में इस जमीन का कुछ हिस्सा शासन ने फोर लेन के लिए अधिग्रहण किया और बतौर मुआवजा 19 लाख रुपए लेखराज को मिले। इसकी जानकारी चंद्रहास को हुई तो उसने सदर तहसील के न्यायिक एसडीएम कोर्ट में वाद दायर कर दिया। जिस पर एसडीएम न्यायिक कोर्ट से लेखराज, राज्यपाल को कोर्ट में हाजिर होकर पक्ष रखने का राजस्व संहिता की धारा 144 का नोटिस जारी किया।