बदायूॅं जनमत। कस्बा सैदपुर के मोहल्ला अलीनगर सादात में हुसैनी फाउंडेशन के सौजन्य से फ़रोग़े तालीम कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। इसके बाद मदरसा अल जामियातुल हुसैनिया की संगे बुनियाद रखी गई। इस प्रोग्राम में अॉल इंडिया उलेमा मशायख बोर्ड के सदर हज़रत सैयद शाह मुहम्मद अशरफ मियाँ किछौछवी ने शिरकत की।
महफ़िल का आगाज़ तिलावत क़ुरआन से हुआ जिसके बाद नातख़्वानी हुई। इसके बाद कोटा राजस्थान से आये मुफ़्ती अमानुल्लाह ने कहा अल्लाह ने क़ुरआन में पहला लफ्ज़ इक़रा दिया जिसका मानी है पढ़ो। इसलिए तरक़्क़ी करने के लिए खुद भी खूब पढ़ो और बच्चों को पढ़ाइये।
शायर हिलाल बदायूँनी ने कहा ये सिर्फ एक मदरसे की बुनियाद नहीं बल्कि मुस्तक़बिल की बुनियाद है। और शेर के ज़रिए अपनी बात पेश की।
सोच अच्छी है तो तहरीर भी अच्छी होगी।
अच्छी बुनियाद है तामीर भी अच्छी होगी।
खुद को मैन दरे सरकार पे हाज़िर देखा।
ख्वाब अच्छा है तो ताबीर भी अच्छी होगी।
कांफ्रेंस का संचालन कर रहे आतिफ सैदपुरी ने कहा
हमें तो उम्र भर लड़ना पड़ेगा इन अंधेरों से।
मगर हम अगली नस्लों को उजाले छोड़ जाएंगे।
फरोगे तालीम कांफ्रेंस के अंत में शेख उल हिन्द मुफ़्ती सैयद शाह मुहम्मद अशरफ अशरफी मियां ने कहा हमारे मज़हब से विज्ञान ज़ाहिर है और विज्ञान की नज़र से इस्लाम को देख जाए तो हर रसूल की अपनी ऑर्बिट है और इसका केंद्र काबा है। आज के ज़माने में तरक़्क़ी हासिल करने के लिए दीं व दुनियावी दोनों तालिमों को हासिल करना चाहिए। कुछ लोगों ने अफवाह फैला रखी है कि दीनी और दुनियावी तालीमे अलग अलग हैं। जबकि सच यही है दोनों तालीमे एक ही हैं, और मुकम्मल स्कूल या मदरसा वो ही है जिसमें एक साथ सारी तालीमे दी जाती हों। सलातो सलाम के बाद कांफ्रेंस का समापन हुआ। इसके बाद हज़रत ने कौमो मिल्लत और देश व दुनिया के लिए दुआ फ़रमाई। दर्जनों लोग मुरीद होकर सिलसिला ए अशरफिया में शामिल हुए।
महफ़िल में मदरसा के मोहतमिम मुफ़्ती सय्यद वाकिफ अली, मौलाना राहत अली, कारी गुलाम मोहम्मद, शोएब अशरफी, कारी मरगूब आलम, मौलाना अतीक़ुर रहमान, वसीम साहब सैफनी, हाजी स्वालह अली, सय्यद अकबर अली, तारिफ अली, चैयरमैन इशरत अली, पूर्व चेयरमैन पति वक़ार अहमद, आसिफ क़व्वाल, सय्यद इमरान, दिलशाद अशरफी आदि मौजूद रहे।