सरकार द्वारा मदरसा शिक्षकों का मानदेय बंद करना मदरसों को आधुनिक शिक्षा से बंचित करना है : अजीत यादव

शिक्षा

बदायूँ जनमत। योगी सरकार का मदरसा शिक्षकों का मानदेय बंद करने का आदेश निंदनीय है। मदरसों में हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान व समाजविज्ञान जैसे आधुनिक विषयों की शिक्षा देने के लिए तैनात आधुनिक शिक्षकों का मानदेय मोदी सरकार पहले ही बंद कर चुकी है। अब प्रदेश की योगी सरकार ने भी इन शिक्षकों का मानदेय बंद करने का आदेश जारी किया है। कांग्रेस ने मोदी और योगी सरकार के मदरसों में आधुनिक शिक्षा देने को तैनात शिक्षकों का मानदेय बंद करने की आलोचना की है।
कांग्रेस के प्रदेश सचिव अजीत सिंह यादव ने कहा कि भाजपा सरकार मदरसों को आधुनिक शिक्षा से बंचित करना चाहती है‌। भाजपा और आरएसएस मदरसा छात्रों को हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान जैसे विषयों के ज्ञान से मरहूम रखना चाहते हैं, जिसको मंजूर नहीं किया जा सकता।
कांग्रेस मदरसों में आधुनिक शिक्षा देने की नीति को बंद नहीं होने देगी और मदरसा शिक्षकों को न्याय दिलाएगी। 24 के लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन की सरकार बनने पर मदरसों में आधुनिक शिक्षा की नीति को बहाल किया जाएगा और इनके शिक्षकों का मानदेय जारी किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि मदरसा आधुनिकीकरण योजना केंद्र सरकार की है। इसे 1993-94 से संचालित किया जा रहा था। वहीं इसमें मदरसों में हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित व सामाजिक अध्ययन विषय को पढ़ाने के लिए शिक्षक रखे गए थे। वर्ष 2008 से इसे स्कीम फार प्रोवाइडिंग क्वालिटी एजुकेशन इन मदरसा (एसपीक्यूईएम) के नाम से संचालित किया जाने लगा। केंद्र की मोदी सरकार ने 2016 से मानदेय नहीं दिया। अब योगी सरकार ने भी मदरसा आधुनिकीकरण योजना में शिक्षकों को मानदेय नहीं देने का फैसला किया है।उत्तर प्रदेश में मदरसों में हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान व सामाजिक अध्ययन विषय पढ़ाने के लिए मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत करीब 25 हजार शिक्षक रखे गए थे। प्रदेश सरकार ने बजट में अतिरिक्त मानदेय देने की व्यवस्था को समाप्त करते हुए कोई भी वित्तीय स्वीकृति इस मद में नहीं जारी करने के निर्देश दिए हैं।
इस योजना में तैनात स्नातक पास शिक्षकों को छह हजार व परास्नातक शिक्षकों को 12 हजार रुपये प्रति माह मानदेय दिया जाता था। वर्ष 2016 में प्रदेश सरकार ने भी इसमें दो हजार व तीन हजार रुपये प्रतिमाह का मानदेय अपनी ओर से देने का निर्णय लिया था। यानी स्नातक शिक्षकों को आठ हजार व परास्नातक शिक्षकों को 15 हजार रुपये इसमें मिलते थे।
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव हरि बख्श सिंह ने बजट में की गई अतिरिक्त मानदेय की व्यवस्था को समाप्त कर दिया है। उन्होंने निदेशक को इस मद में कोई भी वित्तीय स्वीकृति न जारी करने के निर्देश दिए हैं। निदेशक जे. रीभा ने भी सभी जिलों को इसके आदेश भेजते हुए मानदेय देने पर रोक लगा दी है।
मोदी और योगी सरकारों द्वारा मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों का मानदेय बंद करने से भाजपा और आरएसएस की शिक्षा विरोधी सोच बेनकाब हो गई है। उन्होंने कहा कि भाजपा और आरएसएस नहीं चाहते कि मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को विज्ञान, गणित, हिंदी व समाजविज्ञान जैसे विषयों की शिक्षा दी जाए।       

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