बदायूँ जनमत। ज़ुल हिज्जा का चांद नज़र आते ही शहर की मशहूर दरगाह सागरताल का उर्स शुरू हो गया है। दरगाह के सज्जादानशीन सैयद मेहंदी हसन निजामी ने बताया कि हुजूर हजरत ख्वाजा सैयद अहमद बुखारी मशहदी रहमतुल्ला अलेह साहब हुजूर हजरत ख्वाजा सैयद मोहम्मद निजामुद्दीन औलिया मेहबूब इलाही रहमतुल्ला अलेह साहब के पिता (बालिद) हैं और सुल्तान-उल-हिंद हुजूर हजरत ख्वाजा सैयद मोइनुद्दीन चिश्ती गरीब नवाज रहमतुल्ला अलेह साहब के पीरभाई हैं। यानी हुजूर हजरत ख्वाजा सैयद अहमद बुखारी मशहदी रहमतुल्ला अलेह साहब और सुल्तान-उल-हिंद हुजूर हजरत ख्वाजा सैयद मोइनुद्दीन चिश्ती गरीबनवाज रहमतुल्ला अलेह साहब दोनों हुजूर हजरत ख्वाजा सैयद उस्मान हारूनी चिश्ती रहमतुल्ला अलेह साहब के शिष्य हैं।
इस साल हुजूर हजरत ख्वाजा सैयद अहमद बुखारी मशहदी रहमतुल्ला अलेह साहब का 806 वां उर्स है। जिसमें शामिल होने के लिए गैर प्रान्तों से भी अक़ीदतमंद आते हैं।
उर्स ज़ुल-हिज्जा के महीने में होता है। उर्स चांद दिखने के अनुसार शुरू होता है, यानी पहली जुल-हिज्जा से और 7 दिनों तक चलता है। छठवीं रात और सातवें दिन कुल होता है। महफिल-ए-समा ज़ुल-हिज्जा कि छठवीं रात को है। उर्स एक जुलाई से शुरू होगा और 7 जुलाई तक दरगाह सागरताल में चलेगा। मुख्य कुल 7 जुलाई को सुबह तड़के 4:00 बजे होगा और दूसरा कुल सुबह 10:30 बजे होगा।