बदायूॅं जनमत। समाजवादी पार्टी के नेता व सांसद धर्मेंद्र यादव ने सदन में केंद्र सरकार द्वारा लाये गए संविधान में 129वें संशोधन के विरोध में बोलते हुए कहा कि अभी दो दिन पहले संविधान को बचाने तथा संविधान की गौरवशाली परम्परा को निभाने की कसमें खाने में कोई कमी नहीं रखी। परन्तु दो दिन के बाद ही हमारे संविधान की मूल भावना, संघीय ढांचे को खत्म करने के लिये केंद्र की भाजपा सरकार सविधान संशोधन बिल लेकर आई है। मैं अपनी पार्टी व राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की ओर से कहना चाहता हूँ कि यह संशोधन बिल क्षेत्रीय संस्कृति, भेष-भूषा के विरुद्ध है। हमारे संविधान निर्माताओं ने क्षेत्रीय मान्यताएं को दृष्टिगत रखते हुए संविधान के संघीय ढांचे का निर्माण किया था तथा राज्यों का गठन संस्कृति, भाषा, परिस्थितियों व समय के हिसाब से किया गया। मुझे कहने में कोई संकोच नहीं है संविधान निर्माता बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर से विद्वान कोई भी व्यक्ति इस सदन में नहीं है। केंद्र सरकार संविधान की मूल भावना को खत्म करके तानाशाही रवैया अपनाकर लोकतंत्र को समाप्त करना चाहती है।अपने प्रति विपरीत माहौल पाकर तारीख बदलकर आठ विधानसभा व चार राज्यों का चुनाव एक साथ न करा पाने वाले लोग एक देश-एक चुनाव की बात करते हैं। मैं अपनी पार्टी की ओर से इस बिल का पुरजोर विरोध करता हूँ और देश के जनमानस से कहना चाहता हूं भाजपा के लोग तानाशाही लागू करने के नित नए रास्ते खोज रहे हैं। सत्ता में बैठे लोग बताये यदि किसी राज्य की कोई विधानसभा भंग हो जाती है तो क्या उस परिस्थिति में पूरे देश में लोकसभा व विधानसभा चुनाव कराए जाएंगे..?