बदायूॅं जनमत। आज बरोज़ पीर हज़रत शाह शुजाअत अली मियाँ रहमतुल्लाह अलैह का सालना 69वें उर्स के पहले दिन सुबह बाद नमाज़ फ़ज्र क़ुरआन ख़्वानी हुई, इसके बाद दोपहर 2:30 बजे बाद नमाज़े ज़ुहर हज़रत शाह दरगाही महबूबे इलाही अलैहिर्रहमा की ख़ानकाह ज़्यारत शरीफ़ से ‘जुलूसे परचम कुशाई’ की शुरुआत की गई। जुलूसे परचम कुशाई हर साल की तरह अपने मुक़र्रर और परंपरागत रास्तों ज़्यारत शरीफ़ से जामा मस्जिद, हुसैन गली,ताड़ वाली मस्जिद, खिलाड़ी वाली चौपाल से होता हुआ पूरब पुल, मेन बाज़ार से गुज़रता हुआ दरगाह शाह शुजाअत अली मियां पर आकर इख़्तिताम (संपन्न) हुआ।
जुलूस साहिबे सज्जादा हज़रत अलहाज मोहम्मद ग़ाज़ी मियां हुज़ूर की सरपरस्ती और हज़रत अल्हाज सादक़ैन मियां सकलैनी की क़यादत में निकाला गया। रास्ते भर जुलूस में नात ओ मनक़बत के रूहानी कलाम पढ़े गए और साथ ही रूह-परवर नारों की सदायें बुलंद होती गईं।
जुलूस का जगह-जगह फूलों की बारिश से इस्तक़बाल हुआ। जुलूस में ख़ास तौर से तमाम खानवादा ए शाह शराफ़त मियां मौजूद रहे। इसके अलावा उलमाये किराम, हुफ़्फ़ाज़ हज़रात और बड़ी तादाद में मुरीदीन ओ अक़ीदतमंद शामिल हुए। दरगाह शाह शुजाअत अली मियां पर पहुंचकर जुलूस में शामिल हज़ारों अक़ीदतमंदों ने मज़ार शरीफ पर हाज़िरी दी और चादर व गुलपोशी के नज़राने पेश किए।
ज़ायरीन की बड़ी तादाद में हुई आमद
उर्स ए शुजाअती में शिरकत करने के लिए दूर-दराज़ के ज़ायरीन की आमद बढ़ गई है। प्रदेश सहित महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश, बिहार, आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड, दिल्ली से बड़ी तादाद में ज़ायरीन पहुंचे। सभी ज़ायरीनों ने साहिबे उर्स हज़रत शाह शुजाअत अली मियां हुज़ूर के मज़ारे पाक पर हाज़िरी दी और चादरपोशी व गुलपोशी की।
ज़ायरीन के लिए ख़ानक़ाही लंगर का एहतिमाम
ख़ानकाह शरीफ़ का लंगर खाना उर्स में शामिल हज़ारों अक़ीदतमंदों मुरीदीन की मेहमान नवाज़ी और ज़्याफ़त के लिए तैयार है। ज़ायरीनों के लिए खानकाही लंगर हर वक्त जारी है, सभी ज़ायरीन के खाने-पीने का एहतिमाम हमेशा की तरह दरगाह शरीफ पर ही किया गया है।
दरगाह शरीफ के मैदान में एक रूहानी तकरीरी महफ़िल मुनाकिद
रूहानी तकरीरी महफिल में नातों मनाकिब और साहिबे उर्स पर खिताब हुए। महफ़िल का आग़ाज़ हाफ़िज़ जाने आलम सकलैनी ने तिलावते कुरआने पाक से किया। इसके बाद हाफिज आमिल सकलैनी ककरालवी ने नाते पाक और साहिबे उर्स को खिराजे अकीदत पेश की। हसीब रौनक सकलैनी ने भी नाते पाक और साहिबे उर्स की शान में कलाम पढ़े, इनके अलावा बाहर से आए हुए महमानों ने भी अपना अपना कलाम पेश किये। वहीं मौलाना सूफ़ी रिफाकत सक्लैनी नईमी ने साहिबे उर्स की हयाते मुबारक पर रौशनी डाली और मुफ्ती फ़हीम सकलैनी अज़हरी ने सिलसिले का तारूफ कराया। इनके अलावा हज़रत मौलाना हाफ़िज़ अबसार सकलैनी व हाफ़िज़ अब्दुल कादिर सकलैनी ककरालवी के भी खिताब हुए सलातो सलाम के बाद दुआ पर महफ़िल का इख्तिताम हुआ।
उर्स इंतिज़ामियां कमेटी की व्यवस्थाएं
हर साल उर्स में ज़ायरीन की सुविधा के लिए उर्स इंतिज़ामियां की ओर से बेहतर व्यवस्थाएं की जाती हैं। जायरीन के लिए दरगाह शरीफ के अलावा आस-पास के स्कूलों, मदरसों मदरसा दारुल उलूम सकलैनिया, मदरसा मोहसिनुल उलूम, मदरसा जामिया बशीरिया अरबिया, एचएम साइंस स्कूल इसके अलावा शादी हालों में ज़ायरीन के ठहराने की व्यवस्था की गई है।
उर्स इतिजामियां कमेटी और हज़रत शाह सकलैन एकेडमी कारिंदे उर्स में सभी तरह की व्यवस्थाएं संभालने में अपना अहम योगदान दे रहे हैं। जिनमें इंतिखाब सकलैनी (चेयरमैन), हमज़ा सकलैनी, मुंतसिब सकलैनी, ग़ुलाम मुर्तुज़ा, मुनीफ सकलैनी, हाफ़िज़ ग़ुलाम ग़ौस सकलैनी, हाफ़िज़ अयाज़, क़ारी मोहम्मद क़ैस, हाफ़िज़ आमिल, हाफ़िज़ सरफ़राज़, तौसीफ़ ख़ान सकलैनी, चाहत सकलैनी, असहाब सकलैनी, मुस्तफीज़ सकलैनी, मुनीर सकलैनी, फ़राज़ सकलैनी, अकबर सकलैनी, मुक़ीत सकलैनी आदि अपनी अहम भूमिका अदा कर रहे हैं।