बदायूँ जनमत। जनपद बदायूं के अधिकतर लोग खेती पर निर्भर हैं। वहीं गांवों के किसान स्वयं खेती करते हैं। पिछली कुछ सालों से प्रदेश भर की समस्या बने हुए आवारा पशुओं ने इस वर्ष भी सर्दी की रातों में किसानों को परेशान कर रखा है। सर्द रात में जब लोग अपने घरों में रजाईयों में सोते होते हैं उस समय किसान आवारा पशुओं के झुंडों से अपनी फसल को बचाने खेतों पर जाता है। हालात ऐसे हैं कि इस समय गेहूँ की फसल को बचाने के लिए अधिकतर किसान सर्द रातों में खेतों पर ही जागते रहते हैं। लेकिन, इस ओर नाही प्रशासन ध्यान दे रहा है और नाही कोई पशुप्रेमी।
बता दें इन दिनों बदायूं में मरे हुए पशुओं को लेकर पशुप्रेम दिखाने का ट्रेंड सा चल गया है। लेकिन, ज़िंदा रहते उनके बचाव के लिए कोई कुछ नहीं सोचता, सवाल ये भी है कि लगभग प्रत्येक नगर व गांव में स्थाई व अस्थाई गौशाला स्थापित है इसके बावजूद रात को आवारा गौवंश पशुओं के झुंड कहां से आते हैं..?? गौशाला संचालक व ग्राम पंचायत सचिव और अधिशासी अधिकारी इन आवारा गौवंश पशुओं को पकड़ कर गौशाला में क्यों नहीं भेज रहे हैं..??
अधिकतर समस्या बदायूं की पूर्व दिशा में मौजूद कस्बे कादरचौक, उसहैत, उसावां, अलापुर, ककराला आदि के जंगलों की है। इनमें आवारा पशुओं का आतंक मचा हुआ है। किसान ठंड की रातों में अपने बच्चों व परिवार को छोड़कर सारी रात खेतों पर फसल रखाने को मजबूर हो गया है। किसानों का प्रशासन और पशु प्रेमियों से निवेदन है कि वह इस समस्या का समाधान अवश्य निकालें।