बदायूँ जनमत। कादरचौक के गांव मोहम्मदगंज, वेहटा डम्बर नगर और बादुल्लागंज आदि दर्जनों गांवों के किसान आवारा गौवंश से काफी परेशान है। इन सर्द ठिठुरती रातों में मुंशी प्रेमचंद की कहानी – पूस की अंधेरी रात में गरीब किसान हल्कू अपने खेत के किनारे ऊख के पत्तों की एक छतरी के नीचे बांस के खटोले पर अपनी पुरानी गाढ़े की चादर ओढ़े पड़ा कांपता है, बिलकुल सटीक बैठती है। क्योंकि आज कल गांव-गांव में सर्द ठिठुरती रात में खेतों पर हल्कू दिखाई पड़ते हैं। पूस की अंधेरी रात में कंबल लपेटे हाथ में डन्डा लिए खेतों पर बनी झोपड़ी में रात बिताते हैं या खेत के चारों ओर आवारा गौवंशों अपनी फसलों को रखाने के लिए चक्कर लगाते रहते हैं। हैरत तो यह हैं कि हल्कू की तरह इन किसानों की समस्या सुनने वाला भी कोई नहीं है। कादरचौक के ब्लाक क्षेत्र के गांव मोहम्मदगंज में 80 से 100 छुट्टा गोवंश घूम रहे हैं। यहां पर अभी तक कोई गोशाला नहीं बनाई गई है। शाम ढलते ही सैकड़ों किसान अपनी लाइट और हाथ में डन्डा लिए कंबल लपेट कर खेत पर रवाना हो जाता हैं। शासन और प्रशासन व पशुप्रेमियों की अनदेखी का शिकार हुए यह किसान अपने घर में बच्चों को अकेला छोड़कर सारी रात खेतों में जागने को मजबूर है। बच्चे घर पर रजाई में सोते हैं और किसान पूरी रात खेत पर ठिठुरता है।