हिंदू मुस्लिम एकता के पैरोकार थे देश के प्रथम शिक्षामंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद : हाफ़िज़ इरफान

संपादकीय

बदायूँ जनमत। स्वतंत्रता सेनानी व भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की पुण्यतिथि 22 फरवरी पर समाजसेवी व पूर्व जिला पंचायत सदस्य व समाजवादी पार्टी अल्पसंख्यक सभा के निवर्तमान राष्ट्रीय सचिव हाफिज इरफान के मोहल्ला नवादा स्थित आवास पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। जिसमें हाफिज इरफान ने कहा कि मौलाना अबुल कलाम आजाद अपने आप में एक विचारधरा है, वही विचार जो हिंदुस्तान को गांधी जी और ख्वाजा का हिंदुस्तान बनाती है। मोहब्बत का हिंदुस्तान, भाईचारे का हिंदुस्तान। ये वही मौलाना अबुल कलाम आज़ाद हैं जिनके इंतकाल पर ख़ुद पंडित नेहरू ने कहा था कि “आज हमारा अमीरे कारवान चला गया”, ये वही मौलाना अबुल कलाम आज़ाद हैं जिन्हें हिंदू मुस्लिम एकता को एक नया मुकाम दिया था और कहा था के “अगर एक फरिश्ता जन्नत से उतरता है और कुतुब मीनार की ऊंचाइयों से घोषणा करता है कि बशर्ते कांग्रेस हिंदू-मुस्लिम एकता की अपनी नीति को छोड़ दे, आज़ादी 24 घंटे में दिया जाएगा, मैं उस आज़ादी से मुंह मोड़ लूंगा। इस से भारत को थोड़े समय के लिए नुकसान हो सकता है। लेकिन आज़ादी की कीमत के रूप में हमारी एकता को छोड़ना पूरी मानवता के लिए ख़तरा होगा’।
श्री इरफान ने कहा कि आप वही मोलाना अबुल कलाम आज़ाद हैं जिन्होंने 24 साल की उमर में अल हिलाल नाम का अखबार निकाला था। जो उस वक़्त का ब्रिटिश हुकुमत का सबसे बड़ा अलोचक रहा यहाँ तक के बंद कर दिया गया। ख़ास कर उन मुस्लिम नेताओं का अलोचक रहा जो ब्रिटिश हुकुमत की हिमायत करते थे।


आपके वालिद एक बहुत बड़े आलिम जो उस वक्त मक्का में रहते थे लेकिन, आपके दादा हिजरात कर के हिंदोस्तान से मक्का आ गए। आपका पूरा नाम गुलाम मुहियुद्दीन अहमद बिन खैरुद्दीन अल-हुसैनी आजाद था। आप आज़ादी से पहले के सबसे कम उमर के कांग्रेस के अधीन हो या आपका काम कर रहे थे। आज़ाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री रहे। आप जंग ए आज़ादी में गांधी जी वा नेहरू जी के शना बा शना बने रहे लेकिन, आपको आज़ाद भारत में वो मकाम हासिल नहीं हो पाया जिस के वो हक़दार हैं।
भारत के बटवारे को किसी भी तरह से कीमत पे नहीं होना देना चाहते थे। यहां तक के उन्होंने एकता के बटवारे को मानवता के लिए खतरा बता दिया था। उनके सपनों का हिन्दोंस्तान ही भारत के संविधान के सपनों का हिंदोस्तान है। इस मौके पर हाफ़िज़ अब्दुल हादी ने फातिहा व दुआ कराई। कारी राशिद हुसैन नूरी, सोशल एक्टिविस्ट हाफ़िज़ अजमल, मुहम्मद अयाज़, मोहम्मद फैज, हाशिम बरकाती आदि मौजूद रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *