तो क्या ब्लॉक प्रमुख न बन पाने और प्रधानी हारने की टशन में हुआ ट्रपल हत्याकांड…??? 

संपादकीय
बदायूँ जनमत। पूर्व ब्लॉक प्रमुख उसावां और जिला पंचायत सदस्य व सपा नेता राकेश गुप्ता और उनकी पत्नी व माँ की हत्या को लेकर चौतरफा चर्चाओं का बाजार गर्म है। समाजवादी पार्टी ने शासन और प्रशासन की घोर लापरवाही का नतीजा बताया है, तो वहीं एक वर्ग विशेष के लोगों ने सोशल मीडिया पर भाजपा का विरोध करना शुरू कर दिया है। लोग सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि “बनियों का भाजपा को खुला समर्थन देने के बावजूद हमें गोलियों से मारा जा रहा है”।
बता दें हत्या में नामजद रविन्द्र पाल दीक्षित भाजपा नेता हैं और वह आँवला से भाजपा सांसद धर्मेंद्र कश्यप के क्षेत्रीय प्रतिनिधि भी रह चुके हैं। लेकिन मृतक राकेश गुप्ता भी राजनैतिक पकड़ में कम नहीं थे। बताया जाता है कि सन 2000 में उन्होंने बदायूं लोकसभा से चुनाव लड़ा था। जिसमें भगवान सिंह और राकेश गुप्ता की हार हुई थी, मगर सलीम शेरवानी को जीत मिली थी। तभी से राकेश गुप्ता की सियासी पारी शुरू हुई थी। उधर मृतक तथा हत्यारोपी पक्ष में राजनैतिक वर्चस्व की लड़ाई चली आ रही है। वर्ष 2021 में प्रधानी के चुनाव को लेकर भी दोनों पक्ष आमने सामने थे। तत्कालीन उसहैत थाना प्रभारी इंस्पेक्टर चेतराम वर्मा की सूझबूझ से चुनाव सकुशल संपन्न हो सका था। उन्होंने राकेश गुप्ता और रविन्द्र दीक्षित को मतदान की सुबह थाने लाकर नजरबन्द कर दिया था। निष्पक्ष हुए चुनाव में रविन्द्र दीक्षित को हार का सामना करना पड़ा, वहीं मृतक राकेश गुप्ता के भाई राजेश गुप्ता प्रधान चुने गये।
उधर राकेश गुप्ता क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव हार गये लेकिन अपनी राजनीतिक पकड़ के चलते दीक्षित के सपने को पूरा न होने दिया। रविन्द्र दीक्षित सत्ता का सही प्रयोग कर उसावां ब्लॉक प्रमुख बनना चाहते थे। लेकिन जीत के लिए समर्थन न जुटा सके और ब्लॉक प्रमुख बनने से रह गये। बताया जाता है कि तभी से दीक्षित पक्ष टशन में था और दोनों पक्ष खुलकर आमने सामने हो गये। चर्चा है कि ब्लॉक प्रमुख न बनने और प्रधानी हारने की टशन के चलते भी घटना को अंजाम दिए जान संभव है।

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