बदायूँ जनमत। माह ए रमज़ानुल मुबारक की 17वी शव को कस्बा सैदपुर की जामा मस्जिद में नमाज़े तराबीह में क़ुराने पाक मुकम्मल हुआ। इस मौके पर मस्जिद को सज़ा कर रोशनी की गई। नमाज़ियों ने हाफिज़ उजैर खांन व जामा मस्जिद के पेशे इमाम हाफिज शाहबाज़ मरकजी को फूल माला पहनकर मुबारक बाद पेश की। इसके बाद नातिया कलाम के साथ तकरीर पेश की गई। सय्यद मुफ्ती वाकिफ अली ने कहा वो मां बाप खुश क़िस्मत हैं जिनकी औलाद हाफिज ए कुरआन होती है। रोजे महशर
हाफिज ए कुरआन के मां बाप के सर पर ताज़ सज़ा होगा। पर अफ़सोस आज़ मुस्लिम कौम दीनी तालीम की जगह बच्चों दुनियांवी तालीम दिलाते है ताकि उनका बच्चा अच्छी नौकरी व ओहदा पा सकें। उन्होंने कहा इस्लाम ने किसी भी तालीम को मना नहीं किया। लेकिन दीन सीखना हर मुसलमान मर्द, औरत पर फर्ज़ है। हमें चाहिए अपने बच्चों को दुनियांवी तालीम से पहले दीनी तालीम जरूर दिलाएं। इसके साथ ही उम्मुल मोमिनीन सय्यदा आयशा सिद्दिका सलामुल्लाह अलेही के यौमे विसाल पर हाफिज नौशाद ने बताया कि आप की शान में कुरान कसीदा पढ़ता है आपकी पाकीजगी की गवाही अल्लाह कुरान में देता है एक नहीं दो नहीं लगातार 17 आयतें ‘मुबारक सूरह नूर की आपकी पाकिजगी को बयान करती हैं। हज़रत आयशा सिद्दीका रजी अल्लाहु अन्हा दीन का चौथा हिस्सा हैं। अगर उनसे रिवायत हदीस निकाल दें तो औरत के मसाएल हल नहीं किए जा सकते हैं। सलातो सलाम के बाद दुआ की गई। इस मौके पर मस्जिदों के इमाम मौजूद रहे, अंत में अंजुमन रजा ए मुस्तफा के सदर जाहिद हुसैन कुरैशी ने हाफिज उजैर को मुबारकबाद पेश की।
