बरेली जनमत। ताजुशशरिया मुफ़्ती अख्तर रज़ा क़ादरी अज़हरी मियां का विसाल आज से ठीक पांच साल पहले 20 जुलाई 2018 को हुआ था। आज अंग्रेजी तारीख के विसाल के मौके पर दरगाह ताजुशशरिया पर महफ़िल का एहतिमाम दरगाह ताजुशशरिया के सज्जादानशीन व क़ाज़ी-ए-हिंदुस्तान मुफ़्ती असजद रज़ा क़ादरी (असजद मियां) की सरपरस्ती व जमात रज़ा मुस्तफ़ा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सलमान मियां की सदारत व जमात रज़ा ए मुस्तफ़ा के राष्ट्रीय महासचिव फरमान मियाँ की निगरानी में अदा हुई।
फरमान मियाँ ने बताया कि सबसे पहले कुरानख्वानी हुई। इसके बाद महफ़िल का आगाज़ मौलाना शम्स ने तिलावत-ए-क़ुरान से किया। शोहरा ने नात-ओ-मनकबत का नज़राना पेश किया। उर्से ताजुश्शरिया में बाहर से आये उलेमा किराम ने शिरकत की इसके साथ साथ देश विदेश से लाखों अक़ीदतमंदों ने हाज़री दी ने बताया उर्स का आगाज़ नमाज़े फजर कुरआन खव़ानी नातों मनकबत से हुआ।
इसके बाद मुफ़्ती शहज़ाद आलम की ख़ुसूसी तक़रीर हुई, जिसमें उन्होंने हुजूर ताजुश्शरिया की ज़िन्दगी पर रौशनी डाली व आपकी दीनी ख़िदमात के बारे में बताते हुए कहा कि आपने अपनी ज़िन्दगी को सिर्फ खिदमते दीन के लिए वक़्फ़ कर दिया, आपने बहुत सी किताबे लिखीं जिनमे आपका नातिया दीवान व फतावा ताजुश्शरिया मशहूर हैं। मौलाना शकील ने बताया आपने अपने तक़वे और परहेज़गारी की बुनियाद पर मसलक ए आला हज़रत में एक अलग पहचान बनाई। जो अवाम के शरई मसले हल करदे उसे मुफ़्ती कहा जाता है और जो उलेमा व मुफ्तियों के मसले चुटकी में हल कर दे उसे अपने वक़्त का ताजुशशरिया कहा जाता है। आपने मसलक के प्रचार प्रसार के लिए सारी दुनिया का दौरा कर सुन्नियत को फरोग देने का काम किया।
फ़ातिहा 7 बज कर 14 मिनट पर हुई उसके बाद। क़ाज़ी-ए हिंदुस्तान मुफ़्ती असजद मियां की ख़ुसूसी दुआ हुई। सभी को लंगर तकसीम किया गया।
इस मौके पर सैयद अज़ीम उद्दीन अज़हरी, डॉ मेहंदी हसन, हफ़ीज़ इकरम, मोइन खान, अब्दुल्लाह रज़ा खान, बख्तियार खान, काज़िम रज़ा, अब्दुल सलाम आदि मौजूद रहे।