काव्य संग्रह ‘मोम के लोग’ विमोचन पर ककराला में हुआ ऑल इण्डिया मुशायरा, कवि और शायरों ने पेश किए कलाम

उत्तर प्रदेश

बदायूॅं जनमत‌। बीती रात ककराला के मैन बाज़ार में शायर शहरयार खाँ चाँद ककरालवी के काव्य संग्रह ‘मोम के लोग’ के विमोचन के अवसर पर कुल हिंद मुशायरा एवमं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें हिन्दोस्तान के मशहूर शायरों और कवियों ने शिरक़त की और सभी ने अपना अपना कलाम पेश किया।
मीरगंज बरेली से आए शायर अक़ील नोमानी ने पढ़ा –
चराग़ गुल थे मगर हर तरफ उजाला था,
वो पहली बार मिरे पास आने वाला था।
कमल हातवी ने पढ़ा –
तुम बिना कोई बहाना भी तो आ सकता हो,
वरना मैं रोज़ तो बीमार नहीं हो सकता।
आमिर शेख ने पढ़ा –
हम भी कहने के लिये कह दें मगर,
कितना मुश्किल है किसी का होना।
कामिल उरोलवी ने पढ़ा –
पेश करते हैं जो तस्वीर को उल्टा कर के,
कहीं रख दे न ज़माना उनेह सीधा कर के ।
आग़ाज़ साक़ी ने पढ़ा –
चीख़ तो खूब अंधेरों की सुनी मुंसिफ ने,
फैसला दे दिया सूरज की तरफदारी में।
अज़मत जीलानी ने पढ़ा –
अगले दो राहे पे हम लोग बिछड़ जायेंगे,
आओ इस मोड़ पे कुछ देर ठहर जाते हैं।
शमीम ककरालवी ने पढ़ा –
नन्ने मुन्ने बच्चे थे तो कितना खुश रहता था बाप,
जब से बच्चे बड़े हुए हैं सहमा सहमा रहता है।
डाक्टर तौहीद अख़्तर पढ़ा –
उठ तो आये हैं उनकी महफिल से,
रह गयीं हैं मगर वहीं आँखें ।
ज़ाकिर अली ज़ाकिर ने पढ़ा –
तमाम ज़िंदगी फ़िर लौट कर नही आया,
महाज़े इश्क की जानिब अगर गया कोई।
सोहराब ककरालवी ने पढ़ा –
रंग उसका और मेरा एक जैसा हो गया, चाँद की सोहबत से दरिया भी सुनेहरा हो गया,
डा. हिलाल ने पढ़ा –
मोहब्बत कुछ नहीं है इक नशा है,
जिसे होश आये वही बेवफा है।
अरशद रसूल ने पढ़ा –
आप बेशक सारी दुनियां शौक से ले लीजिये,
बख्श दीजेगा फ़कत हिन्दोस्तां मेरे लिये।
इस मौके पर कमल हातवी को शहरयार ककरालवी अवॉर्ड, ख़ालिद नदीम बदायूंनी को पयामें ककरालवी अवॉर्ड एवं दर्द देहलवी को अब्र गुन्नौरी अवॉर्ड से नवाजा गया। मुशायरे की निजामत डा. हिलाल बदायूंनी ने की।         

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