नई दिल्ली जनमत। अॉल इण्डिया उलमा व मशाईख बोर्ड के संस्थापक व अध्यक्ष एवम वर्ल्ड सूफी फोरम के चेयरमैन हजरत सैयद मुहम्मद अशरफ किछौछवी ने सभी से जिक्रे हुसैन में शामिल होने की अपील करते हुए कहा कि हमें पता होना चाहिए कि मुहर्रम हमें हर साल यह याद दिलाता है कि चाहे कितनी बड़ी कीमत भी क्यों न अदा करनी पड़े हमें कभी ज़ुल्म का साथ नहीं देना है और न ज़ालिम का समर्थन करना है। करबला में हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने अपने पूरे घर की कुर्बानी दी पूरी दुनिया में ऐसी कोई मिसाल नहीं है जहां 6 माह के बच्चे ने भी शहादत पेश की हो लेकिन, इमाम के बेटे हज़रत अली अजगर जिनकी उम्र सिर्फ 6 माह की थी उन्होंने कुर्बानी देकर रहती दुनिया को बता दिया कि इससे बड़ी मुसीबत और क्या हो सकती है। पूरा घर का घर शहीद हो गया जंग के बाद भी लगातार जुल्म ढाया गया। खेमों में आग लगाई गई ज़ालिम के द्वारा महिलाओं और बच्चों के साथ बदसुलूकी की गई लेकिन हक़ वालों के कदम नहीं डिगा सका।
हज़रत ने कहा कि करबला सिर्फ एक जंग का नाम नहीं है यह एक ऐसा मदरसा है जो विपरीत परिस्थितियों में हक़ और इंसाफ के साथ और ज़ुल्म के खिलाफ खड़ा होना सिखाता है। करबला हमें सिखाती है कि ज़ुल्म चाहे कितना ताकतवर हो लेकिन उसकी किस्मत मिट जाना है।यही वजह है आज कोई यह भी नहीं जानता यजीद पलीद की कब्र कहां है। लेकिन हुसैन का चर्चा हर गली हर गांव हर शहर और हर मुल्क में बाकी है। हुसैन के मानने वाले उनका चर्चा करने वाले दुनिया के हर कोने में मौजूद हैं।
उन्होंने कहा कि ज़ालिम और ज़ुल्म को मिट जाना है। कुछ समय के लिए ऐसा लग सकता है कि ज़ालिम अजेय है लेकिन यह हमारी भूल ही है। इसी बात को हमें हर साल याद दिलाने मुहर्रम आता है जब हक़ परस्त और ज़ुल्म और ज़ालिम का विरोध करने वाले ज़िक्र हुसैन की सदा बुलंद करते हैं। ताकि दुनिया समझ ले कि कोई ज़ालिम हमेशा नहीं रहेगा और न जुल्म बाकी रहेगा। लेकिन जुल्म के खिलाफ लड़ने वाले का नाम बाकी रहेगा। परिस्थितियों के तहत आने वाली परेशानियों से डरना नहीं है और ज़ुल्म को समाप्त करने के लिए कुर्बानी से पीछे नहीं हटना है। जुल्म किसी के भी साथ हो और ज़ालिम कोई भी हो हमें जुल्म करने वाले ज़ालिम के खिलाफ खड़ा होना है और मजलूम का समर्थन करना है। उसकी जात पात उसका धर्म नहीं देखना है।
हजरत ने कहा कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने फरमाया कि “ज़ुल्म के खिलाफ जितनी देर से उठोगे उतनी ज्यादा कुर्बानी देनी पड़ेगी” लिहाजा सब लोग ज़िक्र हुसैन में शामिल हों।कानून का पालन करें और प्रशासन का सहयोग करते हुए मुहर्रम का पैगाम सब तक पहुंचाएं। ताकि लोगों को पता चले करबला क्या है और हुसैन अलैहिस्सलाम की जात क्या है। इस मौके पर मजलूमों का विशेष ध्यान रखा जाए ऐसे लोग जिनके घर वाले अपने किसी अजीज की जमानत पैसे की वजह न करा पा रहे हों उनका सहयोग कर उनकी जमानत करवाएं, पेड़ लगाएं, गरीबों को खाना खिलाएं, प्यासों को पानी पिलाएं और पैगामें हुसैन को कानून के दायरे में रहते हुए आम करें न खुद ज़ालिम बनें न ज़ालिम का समर्थन करें और ज़ुल्म को बर्दाश्त भी न करें बल्कि उसके खिलाफ आवाज उठाएं। कानून को तोड़ना जुल्म है इसका ख्याल रहे क्योंकि कानून तोड़ने से फसाद होता है और अमन की फिजा खराब होती है जोकि खुला जुल्म है लिहाजा इस बात का ख्याल रहे।