बरेली जनमत। 85वां उर्से हामिदी 9 नवंबर से मनाया जाएगा। इसकी सरपरस्ती क़ाज़ी ए हिन्दुस्तान, मुफ्ती मुहम्मद असजद रजा खां कादरी करेंगे। बामुकाम खानकाहे ताजुश्शरिया में बाद नमाज़े फजर कुरआन ख्व़ानी नातों मनक़बत का सिलसिला चलेगा और बाद नमाज़े ईशा नातों मनकबत व बहार से उलमा ए किराम की तकरीर होगी। कुल शरीफ हुज्जतुल इस्लाम 10:35 बजे होगा। बहार से आये उलेमा किराम व मेहमानो के लिए लंगर का भी इंतज़ाम किया गया है।
जमात रज़ा ए मुस्तफा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सलमान हसन खान (सलमान मिया) ने बताया कि आला हजरत के बड़े बेटे हुजूर हुज्जतुल इस्लाम अल्लामा हामिद रज़ा खान साहब के नाम से दुनिया जानती और पहचानती है। हुज्जतुल इस्लाम अपने इल्म और फ़ज्ल में तो लाजवाब थे ही साथ ही साथ उनका चेहरा ऐसा नूरानी था की जो देखता था दीवाना हो जाता था। ना जाने कितने गैर मुस्लिमों को हज़रत के चेहरे से ही इस्लाम की हक़्क़ानियत समझ में आई और लाताद लोग कलमा पढ़कर इस्लाम में दाखिल हुए और आप आला हज़रत के पहले जांनाशीन थे।
जमात रज़ा ए मुस्तफा के राष्ट्रीय महासचिव फरमान हसन खान (फरमान मिया) ने कहा कि हुज्जतुल इस्लम ने अपनी ज़िन्दगी को सिर्फ खिदमते दीन के लिए वक़्फ़ कर दिया, आपने कई सारे किताबे लिखीं जिनमे नातिया दीवान, बयाज़े पाक, अल सारिम अल रब्बानी, सददुल फिरार, हाशिया मुल्ला जलाल और फतावा हामिदीया मशहूर हैं। आप बरेली शरीफ माहे रबी उल अव्वल में 1292 हिजरी में पैदा हुए और आपका विसाल 17 जुमादल ऊला मुताबिक 12 मई 1943 ईस्वी को ज़िक्रे इलाही करते हुए हुआ।
इस मौके पर सय्यद अजीमुद्दीन, मुफ्ती नश्तर फारूकी, मुफ़्ती ज़ैद मौलाना, मुफ़्ती आज़म, डॉ मेहंदी हसन, इकराम रजा़, शमीम अहमद मोइन खान, समरान खान, बख्तियार खान, दन्नी अन्सारी आदि लोग मौजूद रहे।

