मुबारकबाद: केवल चार साल नौ माह की ज़ौहा बरकाती ने किया कुरान ए पाक मुकम्मल

शिक्षा

बदायूँ जनमत। कस्बा सैदपुर के मोहल्ला पश्चिम निवासी हाफिज सय्यद कलीम अशरफ बरकाती कि 4 साल 9 माह की बेटी ज़ौहा बरकाती अपने वालिद (पिता) कलीम अशरफ बरकाती से ही घर पर दीनी तालीम हासिल कर रही हैं।
छोटी सी उम्र में ज़ौहा बरकाती ने मेहनत व लगन से महज पांच माह मे कुरान का नाजरा यानि (कुरान को देख कर पढ़ना) मुकम्मल कर लिया।ज़ौहा बरकाती की इस कामयाबी से अहले खाना में खुशी का माहौल है।
इस मौके पर लोगों ने ज़ौहा बरकाती को फूल माला पहनाकर मुबारकबाद दी। वहीं ज़ौहा बरकाती दीनी तालीम के साथ अपनी वालिदा (माता) गुलराना से घर पर ही दुनियांवी तालीम भी हासिल कर रही हैं। ज़ौहा बरकाती के पिता हाफिज सय्यद कलीम अशरफ बरकाती ने बताया बेटी को दीनी व दुनियावी तालीम दी जा रहीं है। जिससे उसके इल्म में इज़ाफा हो, बेटी के कुराने पाक मुकम्मल होने पर आज वह काफ़ी खुश नज़र आए और अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए कहा कि बेटी अल्लाह की रहमत है। प्यारे नवी ने फरमाया कि अपने बच्चों को तीन चीजों का इल्म (ज्ञान) सिखाओ पैगम्बरे इस्लाम से मोहब्बत करना, अहले बैत से मोहब्बत करना, और कुरान पढ़ना ! सय्यद कलीम अशरफ बरकाती ने बताया कि कुरान अल्लाह का मुकद्दस कलाम है इसी फिक्र के तहत ज़ौहा बरकाती की वालिदा (माता) गुलराना ने बचपन से ही बेटी को तालीम व तरबियत शुरू कर दी थी। हर मां बाप को चाहिये कि वो अपने बच्चों को कुरान की तालीम दें और अच्छे संस्कार सिखाऐं।


नूरी रज़ा मेमोरियल कालेज़ के प्रिंसिपल एस एच कुरैशी ने कहा जिस घर मे अच्छी तालीम और नेक माँ बाप हो वह घर तहजीब और इंसानियत कि यूनिवर्सिटी से कम नही उन्होंने बताया कि औरतें और लड़कियां किसी की सल्तनत नही बल्कि वह इस्लाम की रानियां और शहज़ादियां होती हैं। क्योंकि कुरान लोगों का रहनुमा है इसलिए मुसलमानों को चाहिए की वह बच्चों को कुरान की तालीम के साथ साथ दुनियावी तालीम पर ध्यान दे।

 

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