जुलूसे परचम कुशाई से उर्से शाह शुजाअत अली मियां का आग़ाज़, कुल कल

धार्मिक

बदायूँ जनमत। हज़रत शाह शुजाअत अली मियां रह• का सालाना 66 वां उर्स का आज आग़ाज़ हो गया। दिन की शुरुआत सुबह बाद फज्र कुरआन ख्वानी से हुई। दोपहर 3 बजे के बाद आस्ताना हज़रत शाह दरगाही मेहबूबे इलाही (जियारत शरीफ़) से अपने रिवायती तौर पर उर्स के परचम कुशाई की रस्म अदा की गई। इस मौके पर पीरो मुरशिद हज़रत शाह सक़लैन मियां हुज़ूर ने फातिहा ख्वानी की। खुसूसी दुआएं कराईं। इसके बाद हज़रत मुनतखब मियां व हज़रत गाज़ी मियां को उर्स का परचम (झंडा) सौंपकर जुलूस को रवाना किया। जुलूसे परचम पीरो मुरशिद शाह सकलैन मियां हुज़ूर की सरपरस्ती में उठाया गया और रास्ते भर इसकी कयादत हज़रत मुंतखब मियां साहब व हज़रत गाज़ी मियां साहब ने की।
जुलूस जियारत शरीफ़ से शुरू होकर अपने परंपरागत रास्तों हुसैन गली, खिलाड़ी वाली चौपाल, मेन बाज़ार व पुल के मुख्य मार्गों से होता हुआ दरगाह शाह शुजाअत अली मियां पर पहुंचा और यहां परचम को नस्ब कर दिया गया।
जुलूस में खास तौर पर मौलाना असरार, अख्तर सकलैनी, महफूज़ सकलैनी, हाफ़िज़ गुलाम गौस, सादकैन सकलैनी, हाफ़िज़ आमिल, हाफ़िज़ अयाज़, कारी कैस मुहम्मद, हाफ़िज़ मुस्तकीम, मौलाना जान मुहम्मद, इंतिखाब सकलैनी, मुर्तज़ा सकलैनी, हमज़ा सकलैनी, सलमान सकलैनी, मुनीफ़ सकलैनी, असदक सकलैनी, गुड्डा सकलैनी, फ़राज़ सकलैनी आदि शामिल रहे। जुलूस में मुकामी अकीदतमंदों के अलावा बाहर के अकीदतमंदों ने भी बड़ी तादाद में शिरकत की।
आज उर्स शरीफ़ के पहले दिन ज़ायरीन की आमद का सिलसिला काफी बढ़ गया। पूरा दिन जायरीन का तांता बंधा रहा। देश के हर राज्य व शहर से ज़ायरीन उर्स में हाज़िरी के लिए आ रहे हैं। मज़ारे शाह शुजाअत अली मियां पर चादर व गुलपोशी का सिलसिला हर वक्त बना हुआ है। इस मुबारक मौके पर तमाम ज़ायरीन अपने पीरो मुरशिद हज़रत शाह सक़लैन मियां हुज़ूर से कतार में लगकर मुलाकात ओ सलाम कर रहे हैं और बेशुमार तादाद में लोग मियां हुज़ूर से मुरीद होकर उनकी दुआओं व फैज़ान से मालामाल हो रहे हैं।

तकरीरी प्रोग्राम का शानदार आयोजन

शाम को बाद नमाज़ ईशा 9 बजे दरगाह शरीफ़ में एक शानदार तकरीरी प्रोग्राम का इनिकाद (आयोजन) हुआ। प्रोग्राम तिलावत ए कलामे पाक से हाफ़िज़ आमिल सकलैनी ने किया।
प्रोग्राम पीरो मुर्शिद शाह सकलैन मियां हुज़ूर की सरपरस्ती में हुआ। जिसमें खुसूसी आलिम हज़रत नूर मुहम्मद साहब ने शाह शुजाअत अली मियां हुज़ूर की शाने विलायत को बयान किया।
इसके बाद मुरादाबाद से आए जनाब रुम्मान कादरी सकलैनी ने अपनी तकरीर में कहा कि हज़रत शाह शुजाअत अली मियां अल्लाह के वो वली हैं कि जिनके वालिद भी वाली हैं और बेटा भी वली है और दोनो ही बड़े और कामिल वाली हैं। हज़रत शाह शुजाअत अली मियां हुज़ूर की बुजुर्गी बहुत बुलंद है और आप निहायत ही सादगी, इंकिसारी, आज्ज़ी पसंद तबीयत के मालिक थे। आपने रेलवे में सरकारी मुलाजिमत भी की साथ ही अल्लाह के ज़िक्र और इबादात, मखलूक की मदद में आप दिन रात मशगूल रहते थे। आपकी खिदमत में जो भी फरयादी आता था उसका तुरंत काम हो जाता था। आज आपके मज़ार ए पाक से लाखों लोग खूब फैज़ हासिल कर रहे हैं।
प्रोग्राम की निज़ामत जनाब जान मुहम्मद ने की, और सदारत उस्ताद शायर जनाब मुंतखब अहमद नूर साहब ने की। तकरीरी सिलसिले के बाद एक शानदार मुशायरे का आयोजन हुआ।
मुशायरे में जनाब रागिब ककरालवी, जनाब फरहत सकलैनी, मुख्तार तिलहरी, अंसार झांसवी, निसार सकलैनी मुंबई, चांद ककरालवी, हसीब रौनक, आमिल ककरालवी, आफ़ाक सकलैनी आदि ने अपने अपने खूबसूरत कलाम पेश किए।
दो रोज़ा उर्स में ज़ायरीनों के ठहरने व खाने पीने का इंतज़ाम मियां हुज़ूर की जानिब से दरगाह शरीफ़ पर ही होता है। ज़ायरीन के ठहराने के लिए दरगाह और आसपास के शादी हॉल, स्कूलों में व्यवस्था की गई है।
बाहर से आने वाले वाहनों की पार्किंग के लिए ढाबे के पास मैदान में व्यवस्था की गई है।

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