बदायूॅं जनमत। इन दिनों भीषण गर्मी और हीटवेव के चलते रसाज ग्रुप की ओर से समाजसेवा के तौर पर एक सराहनीय पहली शुरू की जा रही थी। जिसके तहत शहर में रैन बसेरे की तर्ज पर समर राहत कैंप लगना था। इसके लिए सिटी मजिस्ट्रेट से परमीशन को प्रार्थना पत्र दिया गया। लेकिन मालवीय आवास गृह की ओर से एनओसी न दिए जाने की वजह से नेक काम राजनीति की भेंट चढ़ गया।
रसाज ग्रुप के सीएमडी रईस अहमद ने चार दिन पहले भीषण गर्मी और हीटवेव को देखते हुए एक समर राहत कैंप लगवाने की योजना बनाई थी। उनकी योजना थी कि राहगीरों के लिए रैन बसेरे की तर्ज पर समर राहत कैंप लगाया जाए, जिसमें धूप से बचाव को टेंट, चार कूलर, शीतर जल के लिए वाटर कूलर, बैठने के लिए कुर्सी, आराम करने के लिए मैटिंग की व्यवस्था हो। समर राहत कैंप मॉडल के रूप में शुरू हो। साथ ही आवश्यकता होने पर शहर के विभिन्न स्थानों पर भी ऐसे समर राहत कैंप खोले जाते। राहगीरों के लिए यह कैंप एक माह के लिए (जून माह तक) खोले जाने की योजना थी।
जिसके लिए हाजी रईस अहमद की ओर से शहर के व्यस्त स्थान कोर्ट व कचहरी के निकट मालवीय आवास गृह को चुना गया था। उन्होंने परमीशन के लिए सिटी मजिस्ट्रेट को एक प्रार्थना पत्र भी दिया। सिटी मजिस्ट्रेट ने परमीशन के लिए कई लोगों से आख्या मांगी। जिसमें मालवीय आवास गृह की एनओसी भी लगना थी लेकिन, इस नेक काम के लिए शिक्षकों के अध्यक्ष ने एनओसी नहीं दी। जिससे बदायूं शहर में एक अच्छा और नेक काम राजनीति की भेंट चढ़ गया। इस पर हाजी रईस अहमद ने कहा कि मदद तो किसी भी तरीके से की जा सकती है। लेकिन, अफसोस होता है कि नेक काम को लोग रोकते क्यूं हैं।