बदायूॅं जनमत। संयुक्त अरब अमीरात दुबई के अंतरराष्ट्रीय मुशायरा में डॉ हिलाल बदायूँनी को सिर्फ संचालन के लिए ही आमंत्रित नहीं किया गया बल्कि उसी मंच पर उनकी किताब ताबानी का विमोचन भी किया गया। इस मौके पर डॉ हिलाल बदायूंनी ने अपने संचालन से देश के साहित्यिक मान में इज़ाफ़ा भी किया। साथ ही अपनी दूसरी किताब के दुबई में विमोचन से साहित्य जगत को पुनः आकर्षित कर दिया है।
देश भर में अपने अद्भुत अंदाज और मीठी ज़बान से ख्याति प्राप्त कर चुके अंतरराष्ट्रीय शायर व शिक्षक डॉ हिलाल बदायूँनी ने 28 सितंबर को ऑस्ट्रेलिया की मशहूर इवेंट कंपनी एमएसके इवेंट्स के तत्वाधान में आयोजित संयुक्त अरब अमीरात दुबई के अंतरराष्ट्रीय मुशायरे में अपनी दूसरी किताब का विमोचन एवं कार्यक्रम का संचालन किया। हिलाल बदायूँनी की दूसरी किताब ताबानी का विमोचन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एसएपी इंटरनैशनल के एमडी व जश्ने जम्हूरिया दुबई मुशायरा के संस्थापक जनाब सय्यद सलाहुद्दीन साहब के हाथों से किया गया। ग्लेनडेल इंटरनैशनल स्कूल दुबई के ऑडिटोरियम में होने वाले इस मुशायरा में शायर डॉ हिलाल बदायूँनी के साथ भारत के अतिरिक्त अन्य देशों के शायरों ने उनके संचालन में काव्यपाठ किया एवं किताब के लिए मुबारकबाद पेश की। ग़ौरतलब है कि ज़िले के इतिहास में ये पहला मक़ाम है किसी शायर ने विदेश में संचालन किया हो एवं डॉ हिलाल बदायूँनी की पहली किताब गुफ़्तगू चाँद से का विमोचन हैदराबाद के अंतर्राष्ट्रीय मुशायरा में गत 5 अप्रैल को किया गया था एवं दूसरी किताब का विमोचन दुबई के अंतरराष्ट्रीय मुशायरा में 28 सितम्बर को किया गया । डॉ हिलाल बदायूँनी के दुबई से लौटकर आने पर देश के जाने माने साहित्यकारों, जनपदवासियों , मित्रों व शुभचिंतकों ने बधाइयां प्रदान की है। डॉ हिलाल बदायूँनी ने बताया कि दुबई में अपने देश का साहित्यिक प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने अपने देश के झंडे का बैज लगाकर दुबई में संचालन किया साथ ही अपनी दूसरी नयी किताब ताबानी के कवर प्रष्ट पर शामिल शेर को अपने चाहने वालों को समर्पित करते हुए कहा…
मेरे लफ़्ज़ों के चेहरे पर दरख्शानी तुम्हारी है,
चमकता चाँद हूँ लेकिन ये ताबानी तुम्हारी है।
