बदायूॅं जनमत। हज़रत भोले शाह उर्फ मील वाले दादा मियाँ के 33वे उर्स पर एक अज़ीमुश्शान मुशायरा का आयोजन किया गया। मुशायरा की अध्यक्षता मेला कमेटी सदर यासीन बेग ने व संचालन आर्टिस्टस वेलफेयर एसोसिएशन के सदर डॉ हिलाल बदायूंनी ने किया।
11 दिवसीय मेला उर्स बिसौली स्थित मील वाले दादा मियां में गुरुवार रात्रि एक भव्य मुशायरा का आयोजन किया गया श, जिसमें हिंदुस्तान के मशहूर शायरों ने शिरकत फरमाई। कार्यक्रम रात्रि 2 बजे तक चला, एक के बाद एक शायर व कवियत्री ने अपने कलाम से लोगों को वाह वाह करने पर मजबूर कर दिया। कार्यक्रम में सभी शायरों को कमेटी ने फूल माला बैज व शाल पहनाकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का आगाज़ हाफ़िज़ ज़ियाउल साबरी व शायर शमशाद अलीनगरी ने नात से किया। सर्वप्रथम स्थानीय शिक्षक कवि सुधीर कुमार ने अपने मुक्तकों से अपने अनुभव व्यक्त किये।
जिसके बाद तालिब हमीद रामपुरी ने कहा- करो न फिक्र किसी बात की मेरे बच्चों,
मैं जानता हूं तुम्हें कैसे पालना है मुझे।।
दिल्ली से आई कवियत्री वेदरिचा माथुर ने कहा- पिताश्री आप मेरे राग हैं अनुराग हैं,
आप मेरे साथ हो मेरे अहोभाग हैं।।
पूरनपुर से आई शायरा सुल्तान जहां ने कहा- मेरे मुंसिफ मेरे रहबर तू अब तो फैसला कर दे,
ख़िताबे बावफ़ा दे दे या साबित बेवफा कर दे।।
मशहूर हास्य कवि अनगढ़ संभली ने कहा- ऐसा किया मज़ाक़ मिरी ज़िन्दगी के साथ,
छोटी दिखा के अक़्द कराया बड़ी के साथ।।
शायर शमशाद अलीनगरी ने कहा- खाल खिचती है किसी की तो कोई दार पे है,
लोग आसान समझते हैं मोहब्बत करना।।
संचालन कर रहे जनपद के सुप्रसिद्ध शायर डॉ हिलाल बदायूंनी ने कहा- शऊर वालों को होगा ख़िरद का अंदाज़ा,
तुम्हें नहीं है अभी मेरे क़द का अंदाज़ा।।
वरिष्ठ शायर रौशन निज़ामी ने कहा- जो गुनाहों की यहां गर्द उठा सकता है,
हाथ औरत पे वही मर्द उठा सकता है।।
कार्यक्रम के अंत में दरगाह के खादिमों व कमेटी पदाधिकारियों ने सभी शायरों व श्रोताओं का आभार व्यक्त किया। इस मौके पर मेला कमेटी अध्यक्ष यासीन बेग, उपाध्यक्ष ज़ाकिर अली, कोषाध्यक्ष महशर अली, प्रबंधक चुन्नू सैफ़ी, राशिद अब्बासी, चांद फारूकी, मुकेश लक्खा, दिलशाद फारूकी, यूसुफ मास्टर, मुस्तफा खान, मो शाकिर, ताज मुहम्मद, अबरार मुबीन सादल्ली आदि मौजूद रहे।