बदायूँ जनमत। जिले की सैदपुर नगर पंचायत में शुरू से अब तक सामान्य मुसलमानों का ही कब्जा रहा है। अध्यक्ष पद की कुर्सी के लिए कोठी खानदान व अन्य गुटों में मुकाबला होता रहा है। अब तक कई चुनावों में अध्यक्ष पद सामान्य तो तीन बार सामान्य महिला के लिए आरक्षित रहा है। मुस्लिम बाहुल्य सैदपुर नगर की आबादी 2011 की जनसंख्या के आधार पर 15545 के करीब है। वर्तमान में लगभग 20 हज़ार बताई जा रही है। इसमें हिंदुओं की संख्या मात्र 10.72 प्रतिशत के आसपास पास है। वहीं बीसी की संख्या लगभग 33 प्रतिशत के करीब है। यहां करीब 13,800 मतदाता नगर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव करते हैं। इनमें हिंदू मतदाताओं की संख्या सिर्फ आठ सौ ही है। ऐसी स्थिति में चुनाव के दौरान किसी हिंदू के मैदान में उतरने की हिम्मत ही नहीं जुटती है। वहीं एक बार बीसी से चुनाव में उतरे शाकिर चौधरी को हार का सामना करना पड़ा। अधिकतर यहां सामान्य जाति का ही दबदबा बना हुआ है।
14 अप्रैल वर्ष 1968 में हुआ था सैदपुर नगर पंचायत का गठन
सैदपुर नगर पंचायत का गठन वर्ष 1968 में सांसद रहे असरार अहमद के अथिक प्रयास से हुआ था। इससे पहले यह ग्राम पंचायत थी, यहां प्रधान चुने जाते थे। नगर पंचायत गठन के बाद वर्ष 1971 में पहली बार नगर पंचायत अध्यक्ष के लिए चुनाव हुआ। जिसमें असरार अहमद के दामाद इफ्तिखार अहमद उर्फ बच्चन मियां नगर पंचायत अध्यक्ष बने। पहला चुनाव जीत कर इफ्तिखार अहमद उर्फ बच्चन मियां चेयरमैन बने। इसके बाद यहां सुपर सीट भी रही। वर्ष 1995 में इफ्तिखार अहमद की पत्नी व सांसद असरार अहमद की बेटी कमर जहां चुनाव लड़ी लेकिन वह चुनाव हार गई और नसरीन इशरत चेयरमैन बनीं। वर्ष 2001 में इशरत अली खां चुनाव जीते और वर्ष 2006 के चुनावों में इफ्तिखार अहमद की पुत्रवधू रोशन यूसुफ चुनाव जीतीं। वर्ष 2012 के चुनाव में एक बार फिर इशरत अली खां ने विजय पताका फहराई। वर्ष 2017 में सीट सामान्य महिला के लिए आरक्षित हो गई इस चुनाव में विकार अहमद खां की पत्नी आयशा विकार विजयी हुईं और वर्तमान में चेयरमैन है।
इस बार लोगों को उम्मीद है कि मुकाबला कई खेमों में होगा क्योंकि इस बार दो हिंदू प्रत्याशी बनकर मैदान में आने का ऐलान कर चुके हैं, तो वहीं एक बीसी के प्रत्याशी की भी मैदान में उतरने की उम्मीद जताई जा रही है। अब देखना है की इस बार ताज किसके सर सजेगा।
यहां भाजपा की रणनीति रही है विफल
सैदपुर नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर भाजपा का दांव अभी तक सफल नहीं हो सका है। पिछली बार भी पार्टी ने एक मुस्लिम महिला मेहजबीन बेगम को अपना प्रत्याशी बनाया था, मगर उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। बता दें यहां प्रत्याशी निर्दलीय ही चुनाव लड़ते चले आ रहे।
सैदपुर से सहयोगी : सालिक हुसैन की रिपोर्ट।