बदायूँ जनमत। हर साल की तरह इस साल भी क़स्बा सैदपुर के मोहल्ला खेड़ा सदात पर हज़रत मुफ़्ती सैयद वक़ीफ़ अली साहब की सरपरस्ती में अंजुमन सादात की जानिब से एक अज़ीमुश्शान कांफ्रेंस (अली डे) बनम जश्ने मौला ए कायनात बड़े ही जोश खरोश के साथ मनाई गई। जिसमें महाराष्ट्र से आए मेहमान मुफ्ती शफीकुल कादरी साहब ने खिताब कर मौला अली अलैहिस्सलाम की शान बयान की। साथ ही मशहूर ओ मरूफ शायर शकील अरफी साहब जो फर्रुखाबाद से आए उन्होंने अपना कलाम सुनाकर लोगों के दिलो में अहलेबैत की मुहब्बत का चारा रोशन किया। उन्होंने कहा कि
दुनिया के सब यज़ीद इसी गम में मर गए,
सर मिल गया हुसैन का बैयत नहीं मिली,
कांफ्रेस की निज़ामत शायर ए इस्लाम मौलाना किस्मत सिकंदरी साहब ने की जो अंबेडकर नगर से तशरीफ लाए।
मुफ्ती सैयद वसीम अशरफी साहब ने भी तकरीर पेश की, और भी बहुत से नातख्वां हजरात ने नात व मनकबत पेश की। सैय्यद शाहजेब ने मकबत में कहा
सजदो में रहे चाहे वो मर जाए हराम में,
सादात के गद्दार को जन्नत नहीं मिलती,
शायर आतिफ सैदपुरी ने कहा
गमे हुसैन के मोती जिन्हें मायासर हैं,
उन आंसुओं को समंदर तलाश करते हैं,
इस मौक़े पर बस्ती के इमाम हज़रत और सैय्यद आतिफ सैयदपुरी, रिजवान हाफिज साहब, कारी दानिश, कारी गुलाम अली और अहले सादात कमेटी और तमाम बस्ती के लोग मौजुद रहे। सलातो सलाम के बाद आखिरी में कौम ओ मुल्क की शांति और सलामती के लिए दुआएं मांगी गई।