बरेली जनमत। पीर ए तरीकत, रहबर ए शरीअत, हज़रत शाह मुहम्मद सकलैन शराफती, क़ादरी, नक्शबंदी सज्जादानशीन खानकाह ए शराफतिया बरेली शरीफ़ इस आलम ए गैती से कूच कर गए। हज़रत के यूं चले जाने से अहले तसूफ (सूफिया) के लिए बाइस ए गम है। खासकर अराकीन ऑल इंडिया उलेमा व मशाइख बोर्ड के लिए क्योंकि हज़रत उलमा व मशाइख बोर्ड के खैर ख्वाह थे और बोर्ड को महफूज़ करने के लिए हमेशा कलीदी रोल अदा किया।
हज़रत के विसाल की खबर पर वर्ल्ड सूफी फोरम और अॉल इंडिया उलेमा व मशाइख बोर्ड के नेशनल चेयरमैन हज़रत सैयद मुहम्मद अशरफ अशरफी उल जिलानी किछौछवी ने कहा है कि हज़रत अलैहिर्रहमा अहले सुन्नत वल जमात की नुमाया तंजीम ऑल इंडिया उलेमा व मशाइख बोर्ड के मिशन को घर घर पहुंचाने का काम करते रहते थे।
सोशल मीडिया के ज़रिए हज़रत के इंतकाल की खबर मौसूल हुई। हज़रत अलैहिर्रहमा एक ऐसे रूहानी पेशवा के तौर पर खानकाहियत को उरूज़ बख्शते रहे और असलाफ़ की तर्ज़ ए ज़िंदगी के काल्ब में मुस्तगरक होकर खिदमत ए खल्क को अपना महबूब मशगला बना लिया था। इस सानेहा अज़ीम पर मैं ब’ हैसियत सदर और अराकीन उलमा व मशाइख बोर्ड अहले खाना और मुरीदीन के गम में बराबर शरीक हैं। अल्लाह तआला हज़रत अलैहिर्रहमा के दर्जात बुलंद फरमाए और अहले खाना, मुतावस्सिलीन, मुकतादीन और मुरीदीन को सब्र ए जमील अता फरमाए – आमीन।