हिट एंड रन मामले में ट्रांसपोर्टरों से सुलाह कर सरकार ने विपक्ष की नहीं सिकने दीं राजनीतिक रोटियां

संपादकीय

लेखक : एस•शाहिद अली !  केंद्र सरकार द्वारा हिट एंड रन कानून में संशोधन कर अधिकतम दस साल की सजा और सात लाख रुपए जुर्माना का प्रावधान किया है। सरकार की मंशानुरूप यह काननू एक जनवरी 2024 को लागू होना था। लेकिन, ट्रांसपोर्टरों और वाहन चालक यूनियनों ने इसका कड़ा विरोध करना शुरू कर दिया। ट्रक ड्राइवर किसी भी सूरत में ट्रक चलाना नहीं चाहते थे। जिसके कारण शहरों में पेट्रोल, डीजल समेत अन्य रोजमर्रा के सामान की कमी पड़ने लगी। मात्र दो दिन की हड़ताल ने कानून के साथ-साथ सरकार की सारी हेकड़ी निकाल दी, और दो दिन बाद सरकार को ट्रांसपोर्टरों ने अपने साथ बैठक करने को मजबूर कर दिया। जिसमें काफी मंथन होने के बाद सरकार बैकफुट पर आ गई। सरकार ने कानून को अभी लागू न करने की बात कहकर हड़ताल खत्म कर काम पर वापस लौटने की अपील की।‌‌ स्पष्ट कर दें कि सरकार ने यह नहीं‌ कहा है कि कानून‌ में हुए संशोधन को खत्म किया जायेगा। बैठक में हुई सुलाह की अगली सुबह यानी आज बुधवार को सभी ने हड़ताल खत्म कर दी। वाहनों के चक्के रोड़ पर दौड़ने लगे।
इतना कुछ हो जाने के बावजूद केंद्र सरकार ने पूरे प्रकरण पर इस तरह काबू कर लिया जिसके चलते कोई भी राजनैतिक दल अपनी रोटियां पूरी तरह से सेंक न सका। हालांकि सब जानते हैं कुछ महीनों के बाद लोकसभा चुनाव होने हैं। ड्राइवरों का आंदोलन और जनता का गुस्सा लोकसभा चुनाव में केंद्र सरकार का डिब्बा गोल कर सकता था। इसे सरकार की दूरदृष्टा ही कहेंगे कि आंदोलन को राजनीतिक रूप मिलने से पहले ही अपनी रणनीति से हड़ताल खत्म करा दी। हालांकि यह भी सब जानते हैं कि कुछ दिन और हड़ताल चलने के बाद इसे राजनीतिक रूप जरूर दिया जाता। देश के प्रत्येक आंदोलन में राज्य के दलों की इंट्री हो सकती थी और उसमें अन्ना हजारे आंदोलन की तरह अन्ना तो भूमिगत हो जाते लेकिन कोई अरविंद केजरीवाल बनकर जरूर उभर सकता था।       

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