बदायूॅं जनमत। हज़रत सय्यद भूड़ वाले बावा उझानी के सालाना उर्स के मौके पर आज दूसरे दिन मुकाबला ए कव्वाली में जायरीनों ने देर रात तक कव्वाली का लुत्फ उठाया और चादर पोशी कर मन्नत मांगी। इससे पहले जलसा ए ईद मिलादुन्नबी में उलेमाओं ने लम्बी तक़रीर कर लोगों को झकझोर दिया। कल शुक्रवार को मुक़ाबला ए कव्वाली के बाद कुल की रस्म के साथ उर्स का समापन हो जाएगा।
उझानी के कछला रोड स्थित ऐतिहासिक दरगाह हजरत सय्यद भूड़ वाले बाबा के सालाना उर्स के आज दूसरे दिन दिल्ली के मशहूर दिलबर सुल्तानी कव्वाल और नैनीताल से महताब साबरी कव्वाल के बीच जवाबी मुकाबला हुआ। जिसमें उर्स कमेटी के संचालक असलम मुल्लाजी ने जीत का खिताब महताब साबरी को देते हुए कव्वाल की हौंसला अफजाही की।
तीन दिवसीय उर्स के दौरान कव्वाल दिलवर सुल्तानी ने कहा – जब से तुमको देखा है और कुछ नहीं जचता!
महताब साबरी कव्वाल ने कुछ यूं कहा – चौखट पे अकीदत से जो कोई भी आया है,
सय्यद का करम ये है उसे अपना बनाया है ! महताब साबरी कव्वाल ने जायरीनों की फरमाइश को भी पूरा किया, जिस पर सभी झूमने को मजबूर हो गये। बच्चों ने चाट पकौड़ी और झूले का आनंन्द लिया। वहीं महिलाओं, बुजुर्गों ने दरगाह की चादर पोशी की। उर्स कमेटी के सदर जमील अल्वी ने सभी का आभार व्यक्त किया।
इस मौके पर नबी शेर, शेर मोहम्मद, जमील अल्वी, नदीम अल्वी, जान मोहम्मद, नूर मोहम्मद, शान मोहम्मद, बाबू मियां, शकील अल्वी, मुनव्वर, पप्पू मियां, अकील अहमद आदि मौजूद रहे। संचालन असलम मुल्लाजी ने किया।