मदरसा दारूल उलूम शाहे विलायत में 22 तलबा बने हाफिज, “जलसा दस्तार बन्दी” में बांधीं दस्तार

धार्मिक

बदायूॅं जनमत। शहर के मोहल्ला कबूलपुरा छोटे सरकार रोड स्थित मदरसा दारुल उलूम शाहे विलायत का सालाना अजीमुशान जलसा दस्तारे हिफ्ज़ो किरात (जलसा दस्तार बन्दी) महफिल मैरिज लॉन में मुनक्किद हुआ। इस सालाना जलसे में 22 तलबाओं की दस्तारबंदी हुई। वारिश होने के बाबजूद भी जलसे में लोगों की इतनी भीड़ देखने को मिली की बारात घर लोगों से खचाखच भरा हुआ था। जलसे की सरपरस्ती ओ सदारत शेखे तरीकत नबीरय आला हजरत हज़रत अल्लामा अनस रज़ा कादरी रजवी ने की। जलसे में शेखे तरीकत हज़रत मौलाना सय्यद शाह ऐहेतशाम हुसैन साहिब सज्जादानशीन खानकाहे मखदूमिया विलराम शरीफ, हज़रत अल्लामा मुफ्ती मोहम्मद मुतीउर रहमान साहिब मुफ्तिये आजम बिहार, खतीबुल हिन्द हज़रत अल्लामा कारी सगीर अहमद जौखनपुरी, खतीबे शहीर हजरत अल्लमा मोहम्मद नूरआलम साहिब कादरी बनारस की बेहतरीन तकरीरे हुईं। इस जलसे के मेहमाने खुसूसी पूर्वमंत्री आबिद रजा रहे। पूर्वमंत्री आबिद रज़ा की ओर से सभी 22 तलबाओं और 4 मुदररिस और मदरसे के मीडिया प्रभारी को एक एक जोड़ी कपड़े और एक घड़ी बतौर तोहफा दी गई। इसके अलावा अन्य लोगों की तरफ से भी तलबाओं को गिफ्ट दिए गए। जलसे का पूरा आयोजन दारूल उलूम शाहे विलायत के संस्थापक हज़रत मौलाना अब्दुल रसूल कादरी साहिब और नाजिमे जलसा कारी फज़्ले रसूल कादरी की देखरेख में किया गया।
जलसे का आग़ाज़ तिलावते कुरान से हुआ। जलसे में खतीबे शहीर हजरत अल्लमा मोहम्मद नूरआलम साहिब कादरी बनारसी ने अपनी तकरीर में फरमाया कि इस्लाम धर्म हिंसा की इजाजत नहीं देता है। इस्लाम इंसानियत और भाईचारे का पैगाम देने वाला धर्म है। उन्होंने फरमाया हमें अपने बच्चों को दुनियावी तालीम के साथ साथ इस्लामी तालीम भी दिलानी चाहिए। कुरान अल्लाह की किताब है, जो तमाम इंसानियत के लिए हिदायत है। जो सीधा रास्ता बताने वाली है।अल्लाह के नबी हजरत मोहम्मद स०अ० वसल्लम ने इंसानियत की जिंदगी को गुजारने के लिए बेहतरीन मुआशरा (समाज) कायम किया। जिसमें उन्होंने भूखों को खाना खिलाने, वंचितों को कपड़े पहनाने, गरीब व यतीम की मदद करने और सादगी से जिंदगी गुजारने की तालीम के साथ आखिरत की जिंदगी के लिए तैयारी करने की तालीम दी। खतीबुल हिन्द हज़रत अल्लामा कारी सगीर अहमद साहिब जौखनपुरी ने अपनी तकरीर में कहा कि ऐसी दौलत कमाने से कोई फायदा नहीं जिससे वो दौलत अल्लाह के सजदे से दूर कर दे। उन्होंने कहा कि दुनिया के लोगों को खुश करने के लिए अपना समय बर्बाद करोगे तो जन्नत नहीं मिलेगी। जन्नत उसे मिलेगी जो रसूल का होगा। उन्होंने कहा कि इस्लाम सच्चा, पक्का और पाक मजहब है। इस्लाम हमें हर समुदाय के लोगों की इज्जत, मदद, फिक्र करने की ताकीद फरमाता है। उन्होंने तालीम पर जोर देते हुए कहा कि लड़का हो या लड़की उन्हें दीनी तालीम देना जरूरी है। जिस तरह हम लोग अपने बच्चों को स्कूल पढ़ाई के साथ लिए भेजते है उसी तरह दीनी तालीम के लिए भी भेजना चाहिए। बच्चें अपने माता-बाप की इज़्ज़त करें। दुनिया की बहु-बेटियों की इज़्ज़त करें, साथ ही औलाद को तालीम से दूर न रखें। तालीम ही सच और झूठ में फर्क बताती है। हज़रत अल्लामा मुफ्ती मोहम्मद मुतीउर रहमान साहिब मुफ्ती ए आजम बिहार ने अपनी तकरीर में कहा जिसका पड़ोसी भूखा हो और वो खुद पेट भर खाए वो मोमिन नहीं है। मां की गोद बच्चे के लिए पहला मदरसा है, उसकी तालीम व तरबीयत (संस्कार) वहीं से होती है। मौलाना डॉक्टर यासीन उस्मानी बदायूंनी ने अपनी तकरीर में फरमाया चाहे हमें आधी रोटी ही खानी पड़े लेकिन अपने बच्चों को दीनी और दुनियावी तालीम दिलानी जरूरी है। ताकि हमारे बच्चों का मुस्तकबिल बन सके। इसके अलावा डॉक्टर कितमीर अहमद कादरी कासगंज, कारी हामिद मियां अलीगढ़, कारी अब्दुल रशीद बरकाती देहली ने भी शानदार तकरीरें पेश कीं। जलसे में कारी नौशाद आलम फर्रुखाबादी, कारी मोहब्बे अली कासगंज, अंबर रज़ा बदायूंनी, मोहम्मद साकिब बदायूनी ने अपनी शानदार आवाज से बारगाहे रिसालत में नजरान ए अकीदत पेश किया। जलसे की निज़ामत मोहम्मद नाजिम रज़ा रिज़वी बरेलवी और कारी अब्दुल अज़ीज़ शाहजहांपुरी ने की। जलसे का इखतिताम सलातो सलाम व दुआए खैर पर हुआ।     

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